WCL के डंपिंग से वर्धा नदी को भारी नुकसान चंद्रपुर प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी गहरी नींद में !

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चंद्रपुर : वेकोलि (वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के बल्लारपुर क्षेत्र में स्थित सास्ती भूमिगत कोयला खदान को नए धोपटाला ओपन कास्ट कोयला खदान में बदल दिया गया है। इस खदान से निकाली जा रही भारी मात्रा में मिट्टी को राजुरा तहसील के सास्ती गांव के पास बहने वाली वर्धा नदी के किनारे डंप किया जा रहा है। यह मिट्टी वर्धा नदी के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। इसके बावजूद महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चंद्रपुर कार्यालय में बैठे अधिकारी केवल कुर्सियां तोड़ने का काम कर रहे हैं। इनकी लापरवाही और अनदेखी के कारण वर्धा नदी को भारी नुकसान हो रहा है। इनकी गहरी नींद खुल नहीं पा रही है। हाथ पर हाथ धरे बैठे इन अधिकारियों की वेकोलि के साथ साठगांठ और मिलीभगत के चलते पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है।

कोयला खनन और पर्यावरण को नुकसान

राजुरा तहसील में वेकोलि की कई कोयला खदानें स्थित हैं। बल्लारपुर क्षेत्र कोयला उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन यहां खदानों के विस्तार के लिए किए जा रहे कार्य पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

1. नालों और सड़कों का अतिक्रमण : खनन के विस्तार के लिए क्षेत्र के प्राकृतिक नालों और सड़कों को मनमाने तरीके से नष्ट किया जा रहा है।
2. नालों का प्रवाह बदला : प्राकृतिक जल स्रोतों का प्रवाह बदलने से उनका अस्तित्व खत्म हो रहा है।
3. पानी की समस्या : कोयला खदानों से सैकड़ों फीट गहराई तक पानी निकाला जा रहा है, जिससे आसपास के इलाकों में पानी की भारी कमी हो रही है।

वर्धा नदी को खतरा

अब धोपटाला ओपन कास्ट कोयला खदान से निकली मिट्टी को वर्धा नदी के किनारे जमा किया जा रहा है।
1. नदी के अस्तित्व पर संकट : भारी मात्रा में मिट्टी जमा होने से नदी का बहाव बाधित हो सकता है और नदी धीरे-धीरे समाप्त हो सकती है।
2. स्थानीय जनता पर असर : भविष्य में इस कारण आसपास के गांवों में जल संकट और अन्य पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

स्थानीय लोगों की चिंता

वर्धा नदी चंद्रपुर जिले के लिए जीवनदायिनी मानी जाती है। इस नदी पर कई गांवों की खेती, पशुपालन और दैनिक जीवन निर्भर है। यदि नदी पर यह संकट जारी रहा, तो स्थानीय लोगों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

जरूरत समाधान की

वेकोलि जैसे बड़े संस्थान को अपने खनन कार्यों में पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का ध्यान रखना चाहिए।
1. मिट्टी डंपिंग का वैकल्पिक स्थान : वर्धा नदी के किनारे के बजाय मिट्टी डंप करने के लिए एक सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल स्थान तलाशा जाना चाहिए।
2. नदी संरक्षण के उपाय : नदी के किनारे पौधारोपण और अन्य संरचनात्मक उपाय किए जाएं ताकि नदी का प्रवाह और अस्तित्व सुरक्षित रहे।
3. स्थानीय प्रशासन की भूमिका : जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाकर वर्धा नदी की रक्षा के लिए प्रभावी समाधान लागू करना चाहिए।

वर्धा नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए समय पर कार्रवाई बेहद जरूरी है। यह न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए आवश्यक है, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन और भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।