साप्ताहिक ‘चंद्रपुर की बुलंद आवाज’ के प्रयासों की सफलता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया ऑनलाइन भूमिपूजन, 30 करोड़ की निधि मंजूर
चंद्रपुर : ऐतिहासिक रामाला तालाब का पुनर्जीवन होना एक अच्छी बात है। पुनर्जीवन परियोजना का प्रस्ताव बना, उसे मंजूरी भी मिल गई और 30 करोड़ की निधि भी मंजूर हुई, यह और भी अच्छा है। इसके लिए स्वयं चंद्रपुर शहर महानगर पालिका ने आगे आकर युद्धस्तर पर प्रयास किए, यह तो सोने पर सुहागा हुआ। गौरतलब है कि मनपा की इस परियोजना का भूमिपूजन भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों ऑनलाइन पद्धति से किया गया। इससे बेहतर और क्या हो सकता है? शहर के लोगों में इस बात को लेकर खुशी है और वे अपने-अपने तरीके से इसका इजहार कर रहे हैं। आपका प्रिय साप्ताहिक ‘चंद्रपुर की बुलंद आवाज’ भी मनपा की इस सफलता पर दिल से खुशी व्यक्त करता है और इस महत्वाकांक्षी परियोजना को शुभकामनाएँ देते हुए आशा करता है कि परियोजना का कार्य शीघ्र प्रारंभ होकर निर्धारित समय में पूरा हो जाएगा।
अखबार के नियमित और जागरूक पाठकों को अवश्य याद होगा कि साप्ताहिक ‘चंद्रपुर की बुलंद आवाज’ ने रामाला तालाब की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही समस्याओं को लेकर अपने अंकों में आवाज उठाई थी और इस संदर्भ में चंद्रपुर की जनता की आक्रोशभरी आवाज को शासन-प्रशासन के कानों तक पहुँचाया। तालाब पर अतिक्रमण, जलकुंभी (इकोर्निया) से हो रहे जल प्रदूषण, तालाब और इसके आसपास के क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण और खाली स्थानों पर बिल्डरों द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जे जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर लगातार आवाज बुलंद की गई। पहले नगर परिषद, प्रशासन और बाद में मनपा प्रशासन, महाराष्ट्र पुरातत्व विभाग, जिला प्रशासन और अन्य संबंधित सरकारी विभागों को चेतावनी दी गई थी। मगर तब कुछ नहीं हुआ। अब कुछ पुनर्जीवन ही सही, कुछ तो हो रहा है। कुछ भी न होने से कुछ का होना निश्चित ही बेहतर है।
यह सब इको-प्रो, चंद्रपुर बचाव संघर्ष समिति, रामाला तालाब सुरक्षा व संवर्धन संगठन आदि के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। मनपा आयुक्त बिपिन पालीवाल को भी इसका श्रेय मिलना चाहिए; उनके सकारात्मक सहयोग, प्रयासों और कर्तव्यपरायणता के बिना यह उपलब्धि संभव नहीं थी।
परियोजना प्रस्ताव में क्या है ?
पुनर्जीवन परियोजना के प्रस्ताव के अवलोकन में कई बातें सामने आईं। जलनगर क्षेत्र में एक मिलियन लीटर क्षमता का और मच्छीनाला क्षेत्र में दो मिलियन लीटर क्षमता का सीवेज प्रक्रिया केंद्र, जलनगर से निकलने वाले गंदे पानी को रामाला तालाब में जाने से रोकने के लिए इनके बीच 750 मीटर लंबी रिटेनिंग वॉल का निर्माण, तालाब में जमा कचरा साफ करने के लिए एक्यूफर्स वींड हार्वेस्टिंग मशीन लगाना, तालाब के पानी को ऑक्सीजन देने के लिए संयंत्रों का उपयोग, तालाब के गंदे पानी को एफबी तकनीक से स्वच्छ करना और उसे फिर से तालाब में छोड़ना आदि महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी कार्यों का प्रस्ताव परियोजना में शामिल किया गया है।
सवाल यह है कि यह सारे काम कब शुरू और कब खत्म होंगे? कहीं इन पर लापरवाही, कामचोरी, गैरजिम्मेदाराना रवैया और निधि के झमेलों का असर न हो, जिससे उनका भी वही हश्र न हो, जैसा रामाला तालाब गहराईकरण परियोजना का हुआ था। इसलिए मनपा आयुक्त से लेकर सभी संबंधितों को सावधान, सतर्क और सजग रहना होगा। वर्ना पुनर्जीवन परियोजना का भी पहले की तरह बंटाधार हो सकता है।
पाठकों के प्रिय अखबार साप्ताहिक ‘चंद्रपुर की बुलंद आवाज’ ने ऐतिहासिक रामाला तालाब को बचाने के उद्देश्य से जो मुद्दे उठाए थे उनमें से कुछ पूरे होते नजर आ रहे हैं। इको-प्रो के अध्यक्ष बंडू धोतरे, तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक छेरिंग दोरजे, पूर्व जिलाधिकारी अजय गुल्हाने आदि ने भी रामाला तालाब का अस्तित्व बनाए रखने के उद्देश्य से जो भी कार्य किए, उसका पुनर्जीवन परियोजना एक बेहतरीन परिणाम है।