लॉयड मेटल हो या गोपानी, राजनीतिक पद दिला रहे करोड़ों के ठेके
■ लाभ मिल रहा प्रयास, मराठा, महालक्ष्मी कंपनियों को, नुकसान भोग रहे मंत्री मुनगंटीवार
■ आयकर विभाग, ED, CBI, आर्थिक अपराध शाखा का नहीं ध्यान
चंद्रपुर. करोड़पति बनने के अनेक नुस्खे हम आये दिन सोशल मीडिया पर देखते रहते हैं। लेकिन असल जिंदगी में बेहद कम वर्षों में करोड़पति बनने की महारत कुछ ही चुनिंदा और महान लोगों में होती है। ऐसे ही कुछ महान लोग चंद्रपुर की धरती पर भी जन्म ले चुके हैं। फर्क सिर्फ इतना ही है कि वे अपने अपने उद्योगों में व्यस्त रहने के बजाय राजनीति में रहकर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। ऐसे करोड़पति कार्यकर्ताओं को मिल रहे लाभ से उनके वरिष्ठ नेता को राजनीतिक नुकसान पहुंचने लगा है। इन कार्यकर्ताओं ने जिले के अनेक उद्योगों पर राजनीति के माध्यम से दबादबा जमाते हुए अनेक कंपनियों से करोड़ों के ठेके पाने में महारत हासिल कर ली है। भाजपा वासी पूर्व जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले, भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक बोढे और पूर्व मनपा उपाध्यक्ष राहुल पावडे ऐसे कुछ चुनिंदा उदाहरण हैं, जिनसे यह सीखा जा सकता है कि चंद सालों में ही राजनीति में रहकर कैसे करोड़पति बना जा सकता है। परंतु इनकी नीतियों का खामियाजा अब भाजपा के वरिष्ठ नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार को भूगतना पड़ रहा है।
राजनीतिक पद के बदौलत, दौलत ही दौलत
भारत के हर नागरिक को व्यवसाय करने का संवैधानिक हक है। नेताओं द्वारा किये जा रहे व्यवसाय भले ही अवैध नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक पद मिलने के बाद अचानक ही वे करोड़पति कैसे बन गये ? यह सवाल अब आम कार्यकर्ताओं के अलावा, आम जनता भी पूछने लगी है। देवराव भोंगले, विवेक बोढ़े और कमोबेश राहुल पावडे को अपने-अपने कार्यक्षेत्र के उद्योगों में ठेके क्यों व कैसे मिल रहे हैं, यह एक गंभीर जांच का विषय है। राजनीतिक पद और सत्ता के बदौलत उद्योगों में पैठ जमाना किस बात का परिचायक है ? उद्योगों में बरसों से ठेके और व्यवसाय करने वाले परंपरागत व्यवसायिकों को बाहर का रास्ता दिखाकर नेतागण अगर खुद ठेके हासिल करने की नीति अपना रहे है तो वर्तमान राजनीति के चेहरे को साफ-साफ देखना-परख लेना जरूरी बन जाता है।
भाजपा कार्यकर्ता क्यों नहीं सीख पाते नेताओं से ?
ज्ञात हो कि लॉयड मेटल उद्योग में बीते दिनों प्रयास ट्रांसपोर्ट के करोड़ों के कोयला DO आवंटन का मामला उजागर हुआ था। इसके बाद मराठा ट्रांसपोर्ट के कोल DO का भी प्रकरण सामने आ गया था। महालक्ष्मी कान्ट्रैक्टर नामक कंपनी की ओर से मजदूर आपूर्ति, कोल ब्रेकिंग व मेंटनंस आदि के ठेके काफी वर्षों से चंद्रपुर जिले में चल रहे हैं। राजनीति में सक्रिय भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले एवं शिक्षक विवेक बोढ़े इन निजी कंपनियों से करोड़ों का लाभ कमा रहे हैं। परंतु आम भाजपा के कार्यकर्ता राजनीति में बरसों से सक्रिय होने के बावजूद, अपनी पूर्ण निष्ठा निभाने के बावजूद, पूरी जिंदगी राजनीति के लिए सेवा देने के बावजूद भोंगले एवं बोढ़े की तरह कुछ नहीं कर पाएं। या कहे कि इन भाजपा कार्यकर्ताओं को भोंगले, बोढ़े और पावडे से कुछ सबक सीखना चाहिये।
सत्ता किसी की भी हो, नेता बन गये ठेकेदार !
लाॅयड मेटल कंपनी द्वारा प्रयास ट्रांसपोर्ट को करोड़ों का कोयला ठेका DO के माध्यम से दिया जाता रहा है। इसी कंपनी में मराठा ट्रांसपोर्ट नामक कंपनी को भी करोड़ों के कोल DO दिए जाते रहे। महालक्ष्मी कांट्रैक्टर नामक कंपनी को गोपानी आयर्न एडं पावर इंडिया प्राइवेट लिमीटेड नामक उद्योग की ओर से ठेकेदार और भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले को हर माह लाखों का ठेका दिया जाता रहा है। राज्य में भाजपा जब सत्ता में थी तब देवराव भोंगले के हाथों में चंद्रपुर जिला परिषद अध्यक्ष की कमान थी। उनके महालक्ष्मी कांट्रैक्टर नामक फर्म के माध्यम से गोपानी में करीब 180 मजदूरों की आपूर्ति होने की जानकारी है। कोल ब्रेकिंग व मेंटनन्स के अनेक काम भोंगले के मजदूरों की ओर से कराये जाते रहे। उक्त ठेकों में राजनीतिक हस्तक्षेप की भूमिका पर विरोधी दलों के नेता चुप बैठ जाते हैं। क्योंकि सत्ता चाहे जिसकी भी हो, इन नेताओं को राजनीतिक रसूख के चलते ठेके मिलना तय है।
कांग्रेस की सत्ता में भी ठेकेदार बने भाजपा नेता मालामाल !
कांग्रेस और भाजपा में बरसों से निष्ठावान होकर काम करने वाले कार्यकर्ता आज भी ज्यों की त्यों हालातों में जीवन बसर कर रहे हैं। मंत्री एवं नेताओं के पीछे झंडे लेकर घूमना, नारे लगाना, सभाओं में तालियां बजाना, दरी उठाना, स्वागत करना, नाश्ता बांटना आदि काम इन कार्यकर्ताओं को दिये जाते हैं। महाराष्ट्र में जब सत्ता कांग्रेस के हाथों में थी, तब भी भाजपा नेताओं को ही ठेके दिये जाते रहे। कांग्रेस के आला नेताओं की भाजपा नेताओं के साथ कहीं कोई साठगांठ तो नहीं है, यह संदेह व्यक्त होना लाजमी है।
मंत्री मुनगंटीवार को क्यों हो रहा है नुकसान
यूं तो जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने जिले पर करोड़ों की निधि खर्च कर अनेक विकास कार्यों को अंजाम दिया, किंतु आम कार्यकर्ताओं को ठेके व अन्य वित्तीय कार्यों में मजबूत बनने का पर्याप्त मौका नहीं मिल पाया। कुछ गिने-चुने नाम ही उनके इर्द-गिर्द रहे। देवराव भोंगले, विवेक बोढे, राहुल पावडे जैसे उनके करीबी ही करोड़पति बन पाएं। वहीं आम जनता अब पूर्व ही तरह मंत्री मुनगंटीवार से सीधे मिलने में हिचकिचाती नजर आती है। क्योंकि उनके इर्द-गिर्द रहने वाले नेतागण ही जनता को मंत्री महोदय तक पहुंचने नहीं देते। सेवा केंद्र के माध्यम से छोटे-छोटे कार्यों का निपटारा कर वे मंत्री मुनगंटीवार को लाभ पहुंचाने की नीति तो अपना रहे हैं, किंतु इससे जनता का सीधा संबंध मुनगंटीवार से टूटता चला गया। और इसी का परिणाम है कि लोकसभा चुनावों में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। और इधर देवराव भोंगले जैसे कार्यकर्ता चंद समय में ठेकेदार से करोड़पति बन गये और अब विधानसभा में करोड़ों का धन लगाकर विधायक बनने के अपने सपने को साकार करने तैयार बैठे हैं। अधिनस्त नेताओं को मंत्री मुनगंटीवार द्वारा दी गई छूट और ठेकों से मिल रहा करोड़ों का धन स्वयं मुनगंटीवार के लिए ही संकट का कारण बनता जा रहा है।
आयकर, ED, CBI, आर्थिक अपराध शाखा का क्यों नहीं ध्यान ?
भारत में किसी भी व्यक्ति के लिए व्यवसाय करने पर कोई पाबंदी नहीं है। परंतु जो व्यक्ति राजनीति में आने से पहले खाक छान रहा था, वह व्यक्ति राजनीति के विविध पदों पर बैठते ही अचानक से उनकी संपत्ति में करोड़ों का उछाल कैसे आ जाता है ? क्या राजनीतिक रसूख, दबाव तंत्र, नियमों को तोड़-मरोड़कर लाभ पाने की नीति, अधिकारियों पर नियंत्रण आदि के पीछे कोई बड़ा खेल चल रहा है ? इसे अवैध खेल पर बारीकी से ध्यान देने, गड़बड़ियों को पकड़ने, दबाव तंत्र को विफल करने, वित्तीय अनियमितताओं पर नजर रखने की जिम्मेदारी आखिर किसकी है ? महज चंद सालों में ही राजनीति में आकर अचानक से करोड़पति बन गये देवराव भोंगले, शिक्षक विवेक बोढ़े और राहुल पावडे की संपत्तियों और उनके आर्थिक आवक के संसाधनों पर सरकार के किसी विभाग की ओर से कोई ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है ? आयकर विभाग, ED, CBI, आर्थिक अपराध शाखा आदि जांच एजेंसियां इनके वित्तीय लेन-देन को क्यों परख नहीं पा रही है ? यदि उनकी आमदनी व करोड़ों की कमाई और उसके बाद जगह-जगह खरीदी जा रही करोड़ों की भूमि, खेती आदि सभी जायज है तो आम कार्यकर्ताओं को इस आदर्श नीति को अब अपनाने की जरूरत है। क्योंकि हर इंसान इमानदारी से करोड़पति बनना चाहता है।
राजनीति का दुरुपयोग व सरकार को लगा रहे चूना
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार एवं पूर्व जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले के बेहद खास सेवक तथा BJP युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष व शिक्षक विवेक बोढे का महाफ्रॉड गत जनवरी 2023 के प्रथम पखवाड़े में उजागर हुआ था। बावजूद सरकार व प्रशासन ने शिक्षा क्षेत्र के महाफ्रॉड पर कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में प्रदेश के विरोधी दल नेता विजय वडेट्टीवार ने 4 अगस्त 2023 को विधानसभा में प्रकरण उठाया। तत्काल विवेक बोढे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें जेल में डालने का अनुरोध सदन में किया। इसके बावजूद वर्तमान सरकार ने शिक्षक बोढ़े पर कोई कार्रवाई नहीं की। ज्ञात हो कि बोढ़े राजनीति में सक्रिय रहकर अपने स्कूल में जाना ही भूल गये थे। उन्होंने अपनी जगह एक युवक को विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिख रख लिया था। जब वे नागपुर-मुंबई के टूर पर मुख्यमंत्री के साथ फोटो खिंचवाते हुए देखे जा रहे थे, तब भी उनकी हाजरी स्कूल में लग रही थी। इस तरह राजनीति का दुरुपयोग अपने व्यक्तिगत और आर्थिक लाभ के लिए करने के अनेक मामले जिले में समय-समय पर उजागर होते रहे हैं।