चंद्रपुर शहर में हर साल आने वाली बाढ़ और नदियों के प्रदूषण के लिए कौन हैं जिम्मेदार ?
रेड जोन की गैरकानूनी इमारतें व अवैध रेत उत्खनन से बाढ़ – WCL का दावा
—- मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में वेकोलि के दावों में मनपा निशाने पर
चंद्रपुर : बारिश के दिनों में हर साल इरई और झरपट नदी का पानी चंद्रपुर शहर के निचले इलाकों में बाढ़ की आफत को लेकर आता है। इससे न केवल बाढ़ प्रवण इलाके बल्कि शहर के मुख्य इलाके भी बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। इस गंभीर समस्या के अलावा इरई और झरपट नदी के प्रदूषण का मुद्दा भी काफी गंभीर है। वेकोलि के कोयला खदानों का ओवरबर्डन इन नदियों के किनारे ढेर लगाये जाने और नदी में इसका मलबा समा जाने की समस्या को लेकर कांग्रेस के पूर्व सांसद नरेश पुगलिया ने बीते दिनों मुंबई उच्च न्यायालय के खंडपीठ में एक याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई के दौरान WCL ने जो जवाब दिया वह अपने पर लगे तमाम आरोपों का खंडन करते हुए सीधे मनपा प्रशासन को ही निशाने पर लेने और कटघरे में लाने की स्थिति पैदा कर दी है। अब इस मामले में सभी प्रतिवादियों को 12 सितंबर तक अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिये है।
पुगलिया की याचिका में सरकार समेत 9 प्रतिवादी
कांग्रेस के पूर्व सांसद नरेश पुगलिया ने चंद्रपुर के लिए जीवनदायिनी के रूप में प्रचलित इरई और झरपट नदियों के प्रदूषण की गंभीर समस्या को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। अत्याधिक प्रदूषण का मामला उठाया। इस याचिका में राज्य सरकार समेत 9 को प्रतिवादी बनाया गया।
WCL ने आरोपों से पल्ला झाड़ा
पूर्व सांसद नरेश पुगलिया की ओर से इरई एवं झरपट के अत्याधिक प्रदूषण के लिए यहां के वेकोलि के खानों की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए अनेक आरोप लगाये। उनकी याचिका में ऐसे अनेक मुद्दों की ओर हाईकोर्ट का ध्यान खिंचा गया। परंतु इसके जवाब में वेकोलि प्रशासन ने सिरे से पुगलिया के आरोपों का खंडन किया है। पुगलिया इन नदियों के प्रदूषण के लिए वेकोलि के ओवरबर्डन के मलबे को जिम्मेदार बताते हैं। परंतु वेकोलि इस बात से साफ इंकार कर रहा है। अब अदालत ने सभी प्रतिवादियों को 12 सितंबर तक अपना अंतिम जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कौन-कौन हैं 9 प्रतिवादियों में ?
पुगलिया द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में दायर जनहित याचिका में प्रतिवादियों की तौर पर महाराष्ट्र सरकार के जल संसाधन विभाग, सिंचाई विभाग, जल कार्य विभाग, चंद्रपुर सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग, चंद्रपुर महानगर पालिका के आयुक्त, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और कलेक्टर शामिल किया हैं। साथ ही यह भी मांग की है कि इरई और झरपट नदियों का संरक्षण करना, सुरक्षा दीवार का निर्माण कराना, गहरीकरण करना और सौंदर्यीकरण किया जाएं।
8 विभागों ने WCL को ठहराया जिम्मेदार
वेकोलि प्रशासन को छोड़कर अन्य शेष 8 सभी प्रतिवादियों ने हाईकोर्ट को दिये अपने जवाब में कहा कि वेकोलि के पद्मापुर कोयला खदान का स्तर इरई नदी के समान स्तर पर है, इसलिए नदी के तल में रेत मिश्रित मिट्टी (ओवरबर्डन) लगातार समाती है। बारिश के दिनों में भटाली कोयला खदान का ओवरबर्डन सीधे नदी तल तक पहुंच जाता है। इसे रोकने के लिए वेकोलि द्वारा पौधारोपन नहीं किया जाता है। पद्मापुर, लालपेठ कॉलरी, दुर्गापुर आदि इलाकों में नदी से सटे ओवरबर्डन के ढेर को तत्काल यहां से हटाना आवश्यक है।
वायु प्रदूषण के लिए वेकोलि जिम्मेदार
हाईकोर्ट में वेकोलि प्रशासन की कार्यप्रणाली के खिलाफ 8 विभाग एकजुट हो गये। चंद्रपुर के वायु प्रदूषण के लिए इन 8 विभागों ने वेकोलि को ही जिम्मेदार ठहराया है। कोयला परिवहन के लिए वेकोलि द्वारा उपयोग में लाई जा रही सड़कों पर पर्याप्त मात्रा में जल छिड़काव नहीं किया जाता। इसके चलते लगातार वायु प्रदूषण होता है।
WCL ने किया पलटवार, मनपा ढेर !
8 प्रतिवादियों की ओर से वेकोलि प्रशासन पर लगाये जा रहे तमाम आरोपों को देखते हुए वेकोलि ने भी पलटवार करते हुए हाईकोर्ट के सामने अपने पर लगे सभी आरोपों का खंडन किया। वेकोलि ने इस समय दावा किया कि इरई व झरपट नदियों में सीधे गटर का दूषित पानी छोड़ा जाता है। कचरा फेंका जाता है। इससे यह नदियां प्रदूषित है। नदियों के रेड जोन में इमारतों के अवैध निर्माण पर चंद्रपुर मनपा कोई कार्रवाई नहीं करती। नदियों को स्वच्छ करने की मुहिम नहीं चलाती। इन नदियों से अवैध रूप से रेत का उत्खनन किये जाने का दावा कर वेकोलि ने जिला प्रशासन को भी कटघरे में खड़े कर दिया है।
वेकोलि ने दिये 1 हजार 606 करोड़ गये कहां ?
हाईकोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते समय चंद्रपुर वेकोलि प्रशासन की ओर से चंद्रपुर जिला प्रशासन पर एक ऐसा तीखा सवाल उठाया गया, जिसके चलते समूचा जिला प्रशासन सन्न रह गया। वेकोलि ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2016-17 से अब तक रॉयल्टी के नाम पर 1 हजार 291 करोड़ 2 लाख रुपयों से अधिक की राशि दी है। इसके अलावा वेकोलि ने जिला खनन निधि में 315 करोड़ 49 लाख रुपयों का योगदान दिया है। परंतु इस राशि को जमा कराने के बाद इसका उपयोग सरकार ने किया है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं दी जा सकी है। अब यह जानकारी जिला प्रशासन की ओर से क्यों गुप्त रखी गई, यह तो जिला प्रशासन ही जाने।