WCL को राजस्व डूबने की नहीं परवाह : नीलामी मिक्स की और लूट ले जा रहे प्युअर स्टीम कोल !

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WCL does not care about revenue loss: Mixed the auction and looted pure steam coal!

 

चंद्रपुर वेकोलि के तहत आने वाले कोयला खदानों से आये दिन गड़बड़ियों और घोटालों की खबरों से अखबार पटा पड़ा रहता है। सतत विवादों में रहने वाले WCL चंद्रपुर के प्रशासन के भितर विजलेंस टीम की उच्च स्तरीय जांच होने पर करोड़ों के घोटालों का पर्दाफाश हो सकता है। यहां के चंद अफसरों और अवैध कोयला व्यापारियों समेत ट्रांसपोर्टरों के बीच की मिलीभगत से करोड़ों का अवैध और काला खेल बरसों से चल रहा है। यदि आयकर विभाग और ED की ओर से संबंधितों के यहां छापामार कार्रवाई की जाएं तो बेतहाशा ब्लैक मनी का जखिरा बाहर आ सकता है। ज्ञात हो कि चंद रोज पहले ही DRC 3 और 4 के तहत आने वाले 50 टन के इलेक्ट्रॉनिक वजनकाटे में चीप के माध्यम से हेराफेरी कर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला उजागर हुआ था। इस घोटाले में वेकोलि के 2 कर्मचारी और ठेका कंपनी के 2 कर्मचारियों की संलिप्तता में उनके खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था। अब दुर्गापुर ओपनकास्ट (OC) से एक सनसनीखेज जानकारी निकलकर सामने आ रही है। सूत्र बताते हैं कि यहां के खान प्रबंधक कोलते और WCL चंद्रपुर कार्यालय के सेल्स मैनेजर जी.पी. श्रीवास्तव की अनदेखी के चलते हर माह दुर्गापुर OC को 3.37 करोड़ का घाटा हो रहा है। क्योंकि WCL के डूबते राजस्व को बचाने की किसी अफसर को परवाह नहीं है। यही वजह है कि नीलामी में बिके मिक्स कोयले के परिवहन के बदले में यहां से प्युअर स्टीम कोयले को भर-भरकर बाहर खुले बाजारों में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है।

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोयले की लूट का अवैध खेल दुर्गापुर ओपनकास्ट में बरसों से चल रहा है। परंतु यहां के कुछ अफसरों की मिलीभगत के कारण इस मामले में ऊपर तक मोटी कमाई का एक बड़ा हिस्सा पहुंचाने की चर्चा अब सर्वत्र होने लगी है। हैरत की बात तो यह है कि वेकोलि प्रशासन की ओर से जब एक तय कोटे के अनुसार मिक्स कोयले को नीलाम किया जाता है तो दुर्गापुर कोयला खदान से मिक्स कोयला उठाने के बजाय वेकोलि अफसरों, कोयला व्यापारियों और परिवहनकर्ता ट्रकों के संचालकों की ओर से उत्तम दर्जे का कोयला छांटकर ट्रकों में भरा जा रहा है। यह कोयला मिक्स अर्थात चुरी व छोटे साइज का कोयला होना चाहिये था। परंतु मिक्स DO पर यहां से प्युअर स्टीम कोल ले जाया जा रहा है। कहने को तो यह काफी मामूली सा लगता है कि क्या फर्क पड़ता है यदि कोई मिक्स के बदले ऊंचे दर्जे का कोयला छांटकर ले जा रहा हो। परंतु असली खेल शुरू होता है यहां से कोयला बाहर पड़ोली के नागाड़ा के प्लॉटों में पहुंच जाता है। इसके बाद मिक्स कोयले का नाम बदलकर प्युअर स्टीम कोल बन जाता है और हर एक टन के पीछे कोयला व्यापारी को 1500 रुपये अधिक का मुनाफा होता है।

आइये इस मोटे मुनाफे और कोयले के काले खेल को ठीक तरह से समझ लें। असल में जब दुर्गापुर कोयला खदानों से मिक्स कोल के नाम पर कोयला उठाया जाता है तो इसकी असली कीमत प्रति टन 4400 रुपयों से लेकर 4500 रुपयों तक होती है। लेकिन अफसरों और कोयला व्यापारियों की मिलीभगत से यहां से प्युअर स्टीम कोल, वह भी सेल, पत्थर, चुरी छांटकर केवल बोल्डरनुमा बड़ा कोयला ट्रकों में भरकर बाहर ले जाया जाता है। अब इस कोयले की कीमत हो जाती है 6000 रुपये प्रति टन। ऐसे में सीधे तौर पर एक ट्रक से व्यापारी को औसतन 25 टन कोयले पर ( प्रति टन 1500 रुपये के हिसाब से अतिरिक्त मुनाफा अर्थात 25 टन पर 37,500 रुपये अधिक की) काली कमाई हो जाती है। अब यदि इस लिहाज से देखा जाएं तो खदान में से हर रोज 35 से 50 ट्रक यहां से यह काला खेल करते हुए निकल जाते हैं। मतलब साफ है कि दुर्गापुर कोयला खदान से यदि इस तरह से 30 ट्रक भी प्रतिदिन प्युअर स्टीम कोल भरकर ले जा रहे हैं तो इन्हें हर दिन 11 लाख 25 हजार रुपयों को अतिरिक्त लाभ पहुंच रहा है। अब यदि इस हिसाब को आगे जोड़ते हुए हम वेकोलि को प्रति माह लगने वाली चपट का हिसाब करें तो यह आंकड़ा 3 करोड़ 37 लाख 50 हजार रुपयों तक पहुंच जाता है। और अगर वर्ष भर वेकोलि को लगाये जा रहे चूने का हिसाब करें तो यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ 50 लाख रुपयों तक पहुंच जाता है।

WCL के कोयले की इस तरह से की जा रही लूट पर यहां के चंद्रपुर वेकोलि मुख्यालय के सेल्स मैनेजर जी. पी. श्रीवास्तव का ध्यान क्यों नहीं है ? यह सवाल अनायास ही उठता है। भले ही दुर्गापुर ओपनकास्ट के स्थानीय प्रबंधन के अधिकारी और सब एरिया कार्यालय के स्थानीय अधिकारी यदि कोयला व्यापारियों से मिलीभगत कर रहे होंगे तो इस घोटाले को रोकने की जिम्मेदारी किसकी है ? यकीनन इस पूरे मामले पर प्रतिबंध लगाने का जिम्मा चंद्रपुर वेकोलि मुख्यालय के अफसरों पर निर्भर करता है। परंतु सेल्स मैनेजर जी. पी. श्रीवास्तव और एरिया जनरल मैनेजर हर्षद दातार की ओर से इस गंभीर घोटाले पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है, यह गहन चिंता और विजलेंस टीम की सघन जांच का विषय है। अगर नागपुर CMD कार्यालय और कोल इंडिया के विजलेंस विभाग की ओर से उच्च स्तरीय जांच की जाएगी तो इस प्रकरण में अनेक बड़ी मछलियां फंस सकती हैं। हालांकि यह भी सच है कि कोयले की नीलामी प्रक्रिया थमने के कारण फिलहाल परिवहन थमा है, परंतु जैसे ही 16 सितंबर 2024 को नीलामी हो जाएगी तो पुन: कोयले का अवैध खेल शुरू होगा।

बहरहाल इस पूरे मामले में चंद्रपुर वेकोलि प्रबंधन के एरिया GM हर्षद दातार को हमने एक ईमेल भेजकर प्रशासन का पक्ष और उनकी भूमिका पेश करने का अनुरोध किया है। यदि वे अपना पक्ष रखते हैं तो उनकी बात को भी उपयुक्त तवज्जों दी जाएगी।