संपादकीय
चंद्रपुर जिले की राजनीति वर्तमान में कोयले से भी ज्यादा काली होते हुए दिख रही है। वहीं वेकोलि प्रशासन तो अपने ही वजनकाटे से भारी बनते हुए करोड़ों के घोटालों को अंजाम दे रहा है। अवैध कोयला व्यवसाय को जहां राजनेताओं का संरक्षण मिलने की बात विरोधी दल नेता व कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्टीवार ने उजागर की है, वहीं वेकोलि में वजनकाटे में एक चीप लगाकर वजन कम दिखाते हुए करोड़ों की धोखाधड़ी करने की बात डीआरसी के खदान में उजागर हुई।
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार की ओर से यदि भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाये जाते हैं तो यह सामान्य रूप से आम बात मानी जा सकती थी। लेकिन उन्होंने टीवी चैनलों के सामने अपने ही कांग्रेस दल के एक नेता का अवैध कोयला कारोबारियों को संरक्षण होने की बात कहकर कांग्रेस में भूचाल ला दिया है। उनके इस सनसनीखेज बयान से कांग्रेस में खलबली मच गई है। आखिर वह कौनसा नेता है, जो एनएम ग्लोबल और रुखमाई कोल वाशरीज के अवैध कारोबार को न केवल संरक्षण दे रहा है ? बल्कि काली कमाई भी बटोर रहा है। उस नेता के नाम का खुलासा होना आम कार्यकर्ताओं के लिए जरूरी है। पहले से ही गुटबाजी और आपसी मनमुटावों से पीड़ित चंद्रपुर जिले की कांग्रेस काफी वर्षों से सत्ता से दूर रही है। अब जब आगामी विधानसभा में कांग्रेस के अनुकुल माहौल बना हुआ है, ऐसे में कांग्रेस ही कांग्रेस की दुश्मन बनेगी तो भाजपा की जमीन मजबूत होना तय है।
अवैध कोयला कारोबार में लिप्त उस नेता के राजनीतिक पॉवर के आगे भविष्य में विजय वडेट्टीवार घुटने टेक न दें। इसलिए अवैध कोयला कारोबार का सच जनता के सामने आना चाहिये। अवैध कारोबारियों को पनाह देने वाले चेहरे उजागर होना जरूरी है। कोयला वॉशरीज से काफी प्रदूषण हो रहा है। यह सभी को ज्ञात है। इससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। एमएम ग्लोबल और रुखमाई कोल वाशरीज में बड़े पैमाने पर कोयले की कालाबाजारी होने की बात वडेट्टीवार ने कहकर बवाल तो मचा दिया, लेकिन इस बवाल को अंतिम परिणामों तक लेकर जाने की जिम्मेदारी आखिर किसकी है ?
राजनीतिक संरक्षण के चलते न केवल एनएम ग्लोबल और रुखमाई कोल वॉशरीज अवैध ढंग से मालामाल हो रहे है, बल्कि इस अवैध व्यवसाय पर फल-फूल रहे छुटभैये नेताओं की अपराधिक गतिविधियां यहां के कोल माफिया के करतूतों को बढ़ावा दे रही है। कोल माफिया और छुटभैये नेताओं का कनेक्शन राजनीति की ऊंचाई को भी छूने लगा है। प्रशासन पर दबाव लाकर कार्रवाई से बचने की करतूतों को अंजाम दिया जा रहा है। कोल माफिया के कनेक्शन के चलते आये दिन जिले में गोलीबारी और अापराधिक मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। बेलगाम हो रहे कोल माफिया पर अब लगाम कसना जरूरी बन गया है।
इधर, चंद्रपुर वेकोलि क्षेत्र में अलग ही कहानियों को साकार किया जा रहा है। डीआरसी 3 और 4 के तहत 50 टन के इलेक्ट्रॉनिक वजनकाटे में चीप के माध्यम से हेराफेरी कर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला उजागर हुआ है। इस घोटाले में वेकोलि के 2 कर्मचारी और ठेका कंपनी के 2 कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है। डीआरसी के उपप्रादेशिक प्रबंधक दक्षिणामूर्ति वेदागिरी ने रामनगर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने 4 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। आरोपियों में बिलासपुर स्थित आर.आर इंजीनियर्स एंड कंसल्टेंट्स के वे ब्रिज सर्विस इंजीनियर उमेश शुक्ला, उनके सहायक मुकेश अंद्ररस्कर, डीआरसी चंद्रपुर क्षेत्र के टेलीफोन लाइन मैन अजितसिंह गौतम और क्लर्क राजेश यादव गिरफ्त में आ गये। फैज ट्रेडर्स, पडोली को वेकोलि का 60 टन स्क्रैप उठाने का ठेका दिया गया था। 8 अगस्त को वेकोलि की पांच सदस्यीय समिति जब वजन काटे की जांच करने गई, तो उन्होंने पाया कि वाहन का वजन 6,680 किलोग्राम कम था। इसके बाद, जब उमेश शुक्ला से पूछताछ की गई, तो उन्होंने लिखित में बताया कि वजन काटा सही तरीके से काम कर रहा है। 9 अगस्त को डीआरसी 3 का वजन काटा दोबारा जांचा गया, तो उसमें वाहन का वजन 24.080 टन निकला। इस पर संदेह होने पर काटे की विस्तृत जांच की गई और डीआरसी 4 के इलेक्ट्रॉनिक वजन काटे के लोड सेल केबल पर एक चीप पाई गई, जिससे वजन कम मापा जा रहा था। 16 जुलाई 2024 को सीसीटीवी फुटेज में उमेश शुक्ला, उनके सहायक मुकेश अंद्ररस्कर, अजितसिंह गौतम और राजेश यादव को इलेक्ट्रॉनिक वजन काटे में छेड़छाड़ करते और चीप लगाकर वजन कम करते हुए देखा गया। इस घटना के कारण वेकोलि को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। पुलिस ने चारों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है।
अब सवाल यह उठता है कि वेकोलि प्रशासन की ओर से लंबे समय तक ऐसे मामलों पर गंभीर नजर क्यों नहीं रखा गया। जब सीसीटीवी उपलब्ध थे, तब इस पर ध्यान देने की जिम्मेदारी किसकी थी ? आखिरकार इस करोड़ों के नुकसान के लिए क्या केवल कर्मचारियों के खिलाफ ही कार्रवाई होगी ? या इसके लिए किसी अफसर को भी दोषी माना जाएगा ? कोयला खदानें घाटे में चलने की दर्शाकर यहां तो करोड़ों की लूट मचाई जा रही है। इन तमाम काले कारनामों में लिप्त और इनसे जुड़ी बड़ी मछलियां कब तक बची रहेगी और बचाये जाती रहेगी ? अब वक्त आ गया है कि जांच एजेंसियों को अपनी मुस्तैदी दिखाते हुए तमाम धोखाधड़ियों पर पाबंदी लगाये और कोयले से काले बन रहे हर चेहरे को बेनकाब करें।