18 नवंबर की शाम प्रचार का शोर थमने के बाद वोटरों का चिंतन जारी
जिले की समस्याओं को हल करने कौन हैं सक्षम ?
आरोप-प्रत्यारोपों के बीच किस पर करें भरोसा ?
20 नवंबर को जिले के 6 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा। जिले के कुल 18 लाख 43 हजार 74 मतदाताओं को वोट देने के लिए जिला प्रशासन की ओर से 2 हजार 73 मतदान केंद्रों की व्यवस्था की गई है। 95 उम्मीदवारों के लिए जनता अपना वोट करेगी। इन प्रत्याशियों द्वारा जारी प्रचार का भोपू 18 नवंबर की दोपहर में थम गया। जहां एक ओर उम्मीदवारों की ओर से गुप्त बैठकों एवं गृह भेंट पर जोर दिया जा रहा है, वहीं मतदाता अब शांत माहौल में सक्षम उम्मीदवार के चयन पर चिंतन करने लगे है। आरोप-प्रत्यारोप के शोर के थमने के बाद जनसमस्याओं पर उक्त नेता कितने गंभीर है, इस पर मतदाताओं का मंथन चल रहा है। बीते कुछ दिनों में मीडिया में सूर्खियां बने जिले की कुछ समस्याओं पर हमने गौर किया, जिसे हम यहां प्रमुखता से पेश करेंगे। मतदाता इन समस्याओं से जूझ रहे हैं। बरसों से अनेक समस्याएं नेतागण हल नहीं कर पाएं। अब नये-नवेले वादों के बीच विकास की समीक्षा और मूल्यांकन जनता करने लगी है। विकास की छवि वाकई में असली है या नकली ? इस पर जनता 20 नवंबर को अपना फैसला करेगी।
बीते कुछ दिनों में मीडिया में सूर्खियां बने जिले की कुछ समस्याओं में बेरोगजारी, सिंचन, स्वास्थ्य, सड़कें, अधूरे विकास कार्य, महिला सुरक्षा आदि मुद्दे चर्चा में रहे। इन पर गौर करने तथा चिंतन करने के बाद ही जागरुक मतदाता अपना कीमती वोट देंगे। चंद्रपुर जिले के वेकोलि की कंपनियों में स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिलने की बात स्वयं भाजपा नेता हंसराज अहिर ने ही कबूल की है। महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है, इसलिए महिला बचत गुटों को 292 करोड़ की आर्थिक सहायता देनी पड़ी। बल्लारपुर के बामनी निवासी बीते 50 सालों से भूमि पट्टे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वहीं आक्सापुर के कच्चे पट्टेधारक किसान भी सरकारी योजनाओं से उपेक्षित हैं। वरोरा में तो 5 माह बना दिंदोडा बांध फूटकर बह गया। जिले में शिक्षा का यह हाल है कि छात्र विद्यालयों में प्रेजेंटी लगाते हैं और पढ़ते हैं ट्यूशन क्लासेस में। इसमें संस्था चालकों एवं शिक्षा विभाग की मिलीभगत होती है। वरोरा के सुमठाणा मार्ग के पुल को मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनाया गया और जिला परिषद द्वारा इसकी मरम्मत की गई। नागभीड़ नपा पर महिलाओं को पेयजल के लिए घाघर आंदोलन करना पड़ा। वहीं सुशिक्षित बेरोजगारों ने घंटानाद आंदोलन भी किया। राजुरा के गोवरी-पोवणी मार्ग पर ट्रकों की अवैध पार्किंग के खिलाफ पुलिस में शिकायत करनी पड़ी। भद्रावती नपा ने संपत्ति कर के भुगतान पर ब्याज की वसूली शुरू कर दी। बाघों का दहशत इतना कि बोरचांदली गांव में बाघ नजर आते ही किसान नदी में कूद पड़ा। वरोरा के डोंगरगांव रेलवे परिसर में अवैध उत्खनन के आरोप में तहसीलदार ने रेलवे प्रशासन को डेढ करोड़ का नोटिस थमाया। बुजुर्ग कलाकारों को सरकार से मिलने वाले मानधन में देरी और उपेक्षा के कारण उन पर भूखमरी की नौबत आ गई। बल्लारपुर में रेत घाटों की नीलामी नहीं होने से रेत चोरी थम नहीं पायी। वहीं बस स्थानक पर पेयजल तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका। कोरपना में पुलों का अनुशेष दूर नहीं किया जा सका। लोगों पानी में से यात्रा करने को मजबूर रहे। कोठारी के कलमना में बाघों की दहशत खत्म नहीं हुई। चिमूर में छात्राओं को छात्रवृत्ति से वंचित रखा गया। राज्यपाल चंद्रपुर आये तो उन्हें प्रदूषण एवं वन्यजीव संघर्ष की समस्याओं से अवगत कराया गया। स्थानीय उद्योगों की बदहाली बताई गई। चंद्रपुर जिले के 1988 स्कूलों में सीसीटीवी ही नहीं लगाये जा सकें। वरोरा के पलसगांव में पेयजल के लिए लोगों ने पानी की टाकी पर चढ़कर गांधीगिरी की। करंजीवासियों को अब तक घरकुल का लाभ नहीं मिला। बाबूपेठ उडान पुल की गुणवत्ता पर सवाल उठाये गये। दुर्गापुर में डिलीवरी बॉय पर तेंदुए ने हमला कर दिया। मूल में 7500 किसान फसल बीमा से वंचित रहे। बारिश के पूर्व उश्राला गांव में बना मार्ग बह गया। विसापुर के अंडरपास बोगदे में कीचड़ का साम्राज्य और विकास की गति धीमी कर दिये जाने से लोग परेशान रहे। कोरपना में जादू-टोना के संदेह में मारपिट हुई तो 23 लोगों पर अपराध दर्ज हो गया। शिवसेना जिला प्रमुख संदीप गिरे को तड़ीपारी का नोटिस थमाया गया। राजुरा के साखरी-वरोडा मार्ग पर कोयले की तस्करी जारी रही। बल्लारपुर में कामगार सामग्री पेटी वितरण में भगदड़ मची तो दंगा नियंत्रण पथक बुलाना पड़ा। पोंभूणा के कार्यालयों में लगे 52 लाख के वायफाय यंत्र बंद पड़ गये। यहां के एमआईडीसी में उद्योगों का अभाव देखा गया। राजुरा में बेरोजगारी पर जनता ने रोष जताया। सरकार ने घरकुल अनुदान में 10 हजार रुपयों की कटौती कर दी। सावली में अनेक घरकुल लाभार्थी नाराज हुए। मूल में श्मशानघाट के लिए जगह देने की बरसों की मांग को अनदेखी किये जाने पर ईसाइयों ने ताबूत मोर्चा निकालकर विरोध जताया। जिले के अधिकांश गांवों के मौसमी मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने के कारण वे बाहरी जिले व बाहरी राज्य में पलायन कर गये। चंद्रपुर के मूक-बधिर निवासी शाला की मान्यता रद्द कर दी गई। मूल के बोरचांदली जलापूर्ति योजना के केंद्र में गंदगी और पानी टाकी में शैवाल पाया गया। पोंभूर्णा ग्रामीण अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए रिश्वत की मांग का मुद्दा उजागर हुआ। माजरी में वेकोलि के ओबी का ढेर राहगीरों के लिए जानलेवा बना। कुछ मंत्री 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने के विरोध में होने का दावा विधायक किशोर जोरगेवार ने किया। चंद्रपुर के सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने सिंचाई घोटाले को उजागर किया। मूल में बोगस प्रमाणपत्रों के आधार पर निर्माण मजदूरों का पंजीयन होने की जानकारी उजागर हुई। पोंभूर्णा में बस की क्षमता 50 होने के बावजूद उसमें 100 छात्रों को ठूंसे जाने की खबर ने विचलित कर दिया। पानी के लिए सैंकड़ों किसानों ने असोलामेंढा प्रकल्प कार्यालय का घेराव किया। मूरमाडी में पानी के टंकी एवं पाइप लाइन का कार्य घटिया होने की जानकारी मिली। अतिवृष्टि के मुआवजे के लिए किसानों ने तहसील कार्यालयों पर धरना दिया। राजुरा के देवाडा में एकलव्य शाला समस्याओं से घिरी रही। घुग्घुस के 170 भूस्खलनग्रस्त परिवारों के लिए आप पार्टी नेतृत्व करती नजर आयी। विसापुर का स्टेडियम गंदगी के कारण चर्चा में रहा। स्त्रि रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण ग्रामीण इलाकों से मरीजों को रेफर करने की घटनाएं बढ़ी। राजुरा के सास्ती व धोपटाला खान परिसर में वेकोलि ब्लास्टिंग की तीव्रता बढ़ने के कारण नागरिक भयभीत रहे। अरबिंदो कंपनी ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पूर्ण नहीं किया। ब्रम्हपुरी में गोसेखुर्द का पानी रबी फसलों को देने की मांग किसान करते रहे। इसके लिए किसानों ने ठिया आंदोलन भी किया। भद्रावती के चांदा आयुध निर्माणी के कालोनी में तेंदुए ने एक बालिका को गंभीर घायल कर दिया। कोठारी के मानोरा-कोठारी वन विभाग के निर्माण कार्य में अवैध रेत का उपयोग किया जाता रहा। मूल, नागभीड़, पोंभूर्णा, गोंडपिपरी, सिंदेवाही आदि इलाकों के एमआईडीसी बरसों से ठप पड़े हैं। उद्योग नहीं होने से यहां बेरोजगारी की समस्या कायम है।