संपादकीय
महाराष्ट्र का चंद्रपुर जिला, जो अपनी औद्योगिक प्रगति और कोयला खदानों के लिए जाना जाता है, अब एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है। जिले में भारी उद्योग, बिजली संयंत्र, और कोयला खदानें जहां आर्थिक विकास का आधार बनी हैं, वहीं इनकी वजह से वायु, जल और भूमि प्रदूषण में भी तेजी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में चंद्रपुर का नाम देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार होता है। सरकारी आंकड़ों से लेकर स्थानीय नागरिकों की शिकायतों तक, हर ओर प्रदूषण से जुड़ी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
चंद्रपुर में प्रदूषण की स्थिति को समझने के लिए आंकड़ों पर गौर करना आवश्यक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(CPCB) के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, चंद्रपुर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई बार 300 से ऊपर चला जाता है, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। विशेष रूप से सर्दियों के महीनों में यह स्तर 400 से पार कर ‘बहुत खराब’ और कभी-कभी ‘गंभीर’ श्रेणी तक भी पहुंच जाता है।
वायु प्रदूषण के मुख्य घटकों में पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर चिंता का विषय हैं। पीएम 2.5 का औसत स्तर 60 µg/m³ से अधिक पाया गया है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा 25 µg/m³ से लगभग तीन गुना अधिक है। पीएम 10 का औसत स्तर 150 µg/m³ तक पहुँचता है, जबकि इसकी सुरक्षित सीमा 50 µg/m³ मानी जाती है।
जल प्रदूषण भी एक गंभीर मुद्दा है। वर्धा नदी, जो चंद्रपुर की जीवनरेखा मानी जाती है, औद्योगिक अपशिष्ट और घरेलू कचरे से दूषित हो चुकी है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्धा नदी के विभिन्न हिस्सों में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर 3 से 5 mg/L के बीच पाया गया है, जो जल को ‘मध्यम रूप से प्रदूषित’ श्रेणी में डालता है।
प्रदूषण के स्रोत की यदि हम बात करें तो इनमें अनेक मुद्दे शामिल करने होंगे। खासकर थर्मल पावर प्लांट्स और कोयला खदानें। चंद्रपुर में स्थित चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (CSTPS) राज्य का सबसे बड़ा कोयला आधारित बिजली संयंत्र है। यह बिजली उत्पादन के लिए हर साल लाखों टन कोयले का उपयोग करता है। इस प्रक्रिया में निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOₓ), और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) जैसी गैसें वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं। इसके अलावा, चंद्रपुर क्षेत्र में कोयला खदानों की भी बड़ी संख्या है। खदानों से निकलने वाली धूल और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान होने वाला ध्वनि और वायु प्रदूषण स्थिति को और गंभीर बनाते हैं।
सीमेंट और पेपर उद्योग की यदि बात करें तो जिले में सीमेंट और पेपर उद्योग भी बड़े पैमाने पर संचालित होते हैं। ये उद्योग वायु में भारी धूलकण छोड़ते हैं, जो स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण बनते हैं। सीमेंट उत्पादन प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जित कैल्शियम ऑक्साइड और सिलिका हवा में मिलकर इसे और अधिक प्रदूषित करते हैं।
वाहनों से उत्सर्जन होने वाले प्रदूषण की यदि बात की जाएं तो चंद्रपुर में वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और बेंजीन जैसी विषैली गैसें छोड़ते हैं। चंद्रपुर के ग्रामीण इलाकों में फसल अवशेष जलाने की प्रवृत्ति और शहरी क्षेत्रों में कचरे के प्रबंधन की कमी ने जलवायु संकट को और बढ़ा दिया है।
प्रदूषण का स्वास्थ्य और पर्यावरण पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ता है। चंद्रपुर के प्रदूषण का सीधा असर यहां के निवासियों के स्वास्थ्य पर पड़ा है। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में श्वसन संबंधी रोगों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। सरकारी अस्पतालों में 2022-23 के दौरान सांस की बीमारियों के कुल 15,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों का कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, वर्धा नदी और आसपास के जल निकायों में जलीय जीवों की संख्या में गिरावट आई है। मिट्टी की उर्वरता में भी कमी आई है, जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
सरकार और स्थानीय प्रशासन के प्रयास यहां कमजोर दिखाई पड़ते हैं। हालांकि सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) ने जिले में बड़े उद्योगों के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाने के निर्देश दिए हैं। चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन(FGD) प्रणाली लगाने का काम जारी है। शहर में ग्रीन बेल्ट विकसित करने और सोलर पावर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने के प्रयास भी हो रहे हैं। हालांकि, इन प्रयासों की गति धीमी है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियमों के साथ-साथ इनका पालन सुनिश्चित करना भी बेहद जरूरी है।
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए स्थानीय नागरिकों और संगठनों की भूमिका अहम है। चंद्रपुर में कई गैर-सरकारी संगठन(NGO) और नागरिक समूह भी पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। ये समूह जागरूकता अभियानों के जरिए लोगों को प्रदूषण के खतरों और उनके नियंत्रण के तरीकों के बारे में जानकारी देते हैं। लेकिन व्यापक स्तर पर यह कार्य अधिक तेजी से बढ़ाना होगा। चंद्रपुर के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है। इसमें स्थानीय प्रशासन, उद्योग जगत, और नागरिकों की भागीदारी अहम होगी। जरूरत है अब सख्त प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को लागू करना और उद्योगों को ग्रीन तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है। जनता को जागरूक करना और कचरा प्रबंधन, स्वच्छ ऊर्जा, और हरित परिवहन जैसे उपायों को बढ़ावा देना होगा।
यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो चंद्रपुर की यह प्रदूषण समस्या आने वाले समय में और गंभीर हो सकती है, जिससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बल्कि लाखों लोगों का स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ जाएगा।