Maharashtra Assembly Elections 2024: Rebellion in Chandrapur heats up the election atmosphere
महाराष्ट्र के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल गर्म हो गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को अपने बागियों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के ब्रिजभूषण पाझारे और कांग्रेस के राजू झोडे ने पार्टी के खिलाफ जाकर बगावत कर दी है। इससे यहां चुनावी जंग चतुष्कोणीय हो गई है। दोनों ही बागी अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। और उनका प्रभाव मुख्य दलों के अधिकृत प्रत्याशियों पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। भाजपा के उम्मीदवार एवं विधायक किशोर जोरगेवार को जहां भाजपा के बागी व निर्दलीय प्रत्याशी ब्रिजभूषण पाझारे से चुनौतियां मिल रही हैं, वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार प्रवीण पडवेकर को कांग्रेस के बागी व निर्दलीय प्रत्याशी राजू झोड़े टक्कर दे रहे हैं। इसके चलते चंद्रपुर में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
पार्टी से निकाले गए, पर समर्थकों की कोई कमी नहीं
हालांकि पाझारे और झोडे ने भले ही अपने दलों से बगावत की हो, लेकिन उनके समर्थकों की कोई कमी नहीं है। उनके चुनावी प्रचार में अनेक कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं। हाल ही में भाजपा की ओर से ब्रिजभूषण पाझारे को निष्कासित किये जाने की मीडिया रिपोर्टों से अखबार पटे रहे। इसके बावजूद अनेक भाजपा कार्यकर्ता पाझारे के संपर्क होने की जानकारी है। बागियों का जनाधार अब भी मजबूत नजर आ रहा है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों पार्टियों के कई कार्यकर्ता गुपचुप तरीके से इन बागियों के समर्थन में जुटे हुए हैं। कुछ कार्यकर्ता खुलकर प्रचार कर रहे हैं, तो कुछ पर्दे के पीछे से उनका साथ दे रहे हैं।
जोरगेवार और पडवेकर की परेशानियां बढ़ी
भाजपा उम्मीदवार किशोर जोरगेवार और कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण पडवेकर इस स्थिति से परेशान हैं। भाजपा की ओर से कई बड़े नेता, जिनमें उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हैं, कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहने की सलाह दे चुके हैं। लेकिन जमीनी हकीकत अलग ही कहानी बयां कर रही है। इधर, कांग्रेस में भी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सांसद प्रतिभा धानोरकर एवं विरोधी दल नेता विजय वडेट्टीवार अपने गिले-शिकवे भूलकर प्रवीण पडवेकर के प्रचार सभा के मंच में एकसाथ नजर आये। इससे भले ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ हो, लेकिन अब तक उनके चुनावी प्रचार की रैलियों में कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की फौज भ्रमण करते हुए नजर नहीं आ रही है।
भाजपा के लिए चिंता का सबब
भाजपा ने इस बार अपने पुराने कार्यकर्ता ब्रिजभूषण पाझारे को टिकट नहीं दिया और उनकी जगह पूर्व निर्दलीय किशोर जोरगेवार को उम्मीदवार बना दिया। जोरगेवार का भाजपा में शामिल होना और टिकट पाना पाझारे के समर्थकों को रास नहीं आया। उन्होंने पार्टी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाते हुए चुनावी मैदान में उतरने का फैसला कर लिया। और पाझारे के समर्थन में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता दिख रहे हैं। स्थानीय स्तर पर उनका प्रभाव इतना गहरा है कि भाजपा की कई टीम अब उनके पक्ष में काम कर रही हैं। यह स्थिति भाजपा के लिए चिंता का सबब बन गई है।
चुनावी अभियान में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की अंदरखाने समर्थन
उधर, कांग्रेस ने प्रवीण पडवेकर को चंद्रपुर से टिकट दिया, लेकिन पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया। खासकर सांसद प्रतिभा धानोरकर के समर्थक अब तक पडवेकर के साथ प्रचार में सक्रिय नहीं दिखे हैं। दूसरी ओर, राजू झोडे अपने उलगुलान संगठन के साथ चुनावी अभियान में जुटे हुए हैं। खबर है कि कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता अंदरखाने झोडे का समर्थन कर रहे हैं।
चुनावी संघर्ष बना रोमांचक
यह साफ है कि चंद्रपुर में इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प और कठिन होगा। भाजपा और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी जहां अपनी-अपनी पार्टी के बागियों से जूझ रहे हैं, वहीं जनता भी इस चौरंगी संघर्ष को लेकर उत्साहित है। आगामी दिनों में यह देखना होगा कि क्या बागी उम्मीदवार अपने प्रभाव के दम पर जीत हासिल कर पाते हैं या फिर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी आखिरी वक्त में बाजी पलटने में कामयाब होंगे।