बाबूपेठ रेलवे पुल : 54 वर्षों की देरी , निर्माण की लेटलतीफी का कौन लेगा श्रेय ?

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 उद्घाटन का श्रेय लेने राजनेता अग्रसर हुए लेकिन निर्माण की देरी के लिए कौन है जिम्मेदार ?

सरकारी उद्घाटन के पूर्व ही नेताओं ने कर दिया शुभारंभ

चंद्रपुर बस स्टैंड बना भी नहीं और कर दिया गया उद्घाटन

आचार संहिता का डर नेताओं के सिर चढ़कर बोलने लगा है। क्योंकि चुनाव आयोग की ओर से महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की घोषणा होते ही आचार संहिता लग जाएगी। और ऐसे में किसी भी परियोजना का उद्घाटन या शुभारंभ नेतागण नहीं कर पाएंगे। या यूं कहे कि श्रेय नहीं ले पाएंगे। श्रेय लेने की यह होड़ बाबूपेठ रेलवे पुल के मामले में हंसी का पात्र बन गई। भाजपा नेता व विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार ब्रिजभूषण पाझारे रात के अंधेरे में ही ढोल-ताशों के साथ पहुंच गये और पुल का शुभारंभ कर दिया। वहीं चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार अपने समर्थकों के साथ दूसरे दिन सुबह पहुंचकर इस पुल का उद्घाटन कर दिया। सरकारी प्रकिया के तहत उद्घाटन का इंतजार करना भी मुनासिब नहीं समझा गया। वहीं दूसरी ओर, गत बारिश में निर्माणाधीन चंद्रपुर बस स्टैंड की छत पटकने, सीसीटीवी का अभाव, पेयजल सुविधा की कमी और अन्य कार्यों की पूर्ति शेष होने का दावा मीडिया के हवाले से विभागीय नियंत्रक करते रहे। लेकिन बस स्टैंड के निर्माण कार्य को पूर्ण करने से पहले ही पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की मौजूदगी में संबंधित प्रशासन ने इसका भी उद्घाटन कर ड़ाला। इसके चलते जनता में राजनेताओं के श्रेयवादी नीति को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं। वहीं मुख्य सवाल तो यह है कि वर्ष 1990 से बाबूपेठ रेलवे पुल की मांग को लेकर संघर्षरत जनता को 54 वर्षों के बाद पुल मिला। इस देरी व निर्माण में लेटलतीफी का श्रेय लेने कौनसा राजनेता आगे आएगा, यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है।

जोरगेवार और पाझारे में सियासी जंग

बहुचर्चित बाबूपेठ रेलवे पुल गुरुवार सुबह यातायात के लिए खोल दिया गया। लेकिन इसके श्रेय को लेकर भाजपा नेता ब्रिजभूषण पाझारे और चंद्रपुर के विधायक किशोर जोरगेवार के बीच सियासी जंग शुरू हो गया। पाझारे ने आधी रात को अंधेरे में 1 बजे फटाखे चलाकर पुल का शुभारंभ करने की घोषणा कर दी। जबकि विधायक जोरगेवार ने दूसरे दिन सुबह सैकड़ों समर्थकों की मौजूदगी में पुल का उद्घाटन किया। विधायक जोरगेवार और वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के समर्थकों के बीच चल रही तनातनी लगातार चर्चा में है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह संघर्ष और भी तीव्र हो रहा है। जोरगेवार और मुनगंटीवार समर्थकों ने उद्घाटन के जो बैनर लगाए, उसमें पुल का श्रेयवाद दिख रहा है। विधायक जोरगेवार ने भाजपा नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग रात में केवल 7-8 लोगों के साथ मिलकर ऐसे काम करते हैं जो जनता के लिए जोखिम भरा होता है।

भाजपा और यंग चांदा ब्रिगेड में संघर्ष

गौरतलब है कि विधायक किशोर जोरगेवार और भाजपा नेताओं के बीच इससे पहले भी अनेक संघर्ष देखने को मिले हैं। आजाद बाग के नवीनीकरण के कार्यक्रम में भी संघर्ष देखने को मिला था। भाजपा कार्यकर्ताओं और जोरगेवार के यंग चांदा ब्रिगेड के बीच अक्सर झड़पें होती रही हैं। हालांकि, पिछले ढाई साल से जोरगेवार महायुती सरकार का समर्थन कर रहे हैं और अगली विधानसभा चुनावों में महायुती के उम्मीदवार के रूप में उनके लड़ने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के साथ उनके विवाद से उनके राजनीतिक समीकरणों पर असर पड़ सकता है।

दाताला पुल पर फोकस व बाबूपेठ पुल था उपेक्षित

चंद्रपुर से सटे इरई नदी पर बन चुके 80.06 करोड़ के दाताला केबल पुल से 2 वर्ष पूर्व के दिसंबर माह में ही आवागमन शुरू हो गया था। बाबूपेठ में निर्माणाधीन 61.57 करोड़ का रेलवे ओवरब्रिज निधि की कमी से अटका हुआ था। करीब वर्ष 1990 से ही बाबूपेठ वासियों की ओर से रेलवे पुल की मांग उठ रही थी। लंबे इंतजार के बाद वर्ष 2016 में इसके पुल को मंजूरी दी गई थी। लेकिन निधि की कमी और निर्माण संबंधित रेलवे की मंजूरी आदि विभिन्न कारणों से बाबूपेठ पुल उपेक्षा का शिकार बना।

विफल होते रहे नेताओं के दावे 

बीते 54 वर्षों में इस पुल को लेकर भाजपा और कांग्रेस के अनेक नेताओं ने निधि की कमी नहीं होने देने का दावा किया था, जो दावा लंबे समय तक विफल होता रहा। पूर्व सांसद हंसराज अहिर, स्व. बालू धानोरकर, पूर्व पालकमंत्री विजय वडेट्‌टीवार, वर्तमान पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार आदि ने निधि की कमी न होने देने का भरोसा दिलाया था। लेकिन फंड की कमी के चलते ए.सी. शेख व एम.जी. जेवी. अहमदनगर की निर्माण कंपनी ने कार्य को धीमा कर दिया। इस बीच दाताला पुल तो बन गया, लेकिन बाबूपेठ पुल अटका रहा।

ST विभागीय नियंत्रक का दावा- बस स्टैंड का काफी काम है शेष

8 अक्टूबर की भारी बारिश के कारण चंद्रपुर बस स्टैंड के छत से बारिश के पानी का रिसाव हुआ था। पेयजल और सीसीटीवी कैमरों के बंद होने तथा चोरी की वारदातों को लेकर शिकायतें मिली। इस बीच 10 अक्टूबर को मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एसडी महामंडल के चंद्रपुर डिवीजन के विभागीय नियंत्रक ने स्पष्टीकरण दिया कि अभी बस स्टैंड का काफी काम होना बाकी है। संबंधित ठेकेदार ने संपूर्ण बस स्टैंड हस्तांतरित नहीं किया है। बारिश के पानी के रिसाव को लेकर संबंधित ठेकेदार को आवश्यक मरम्मत करने और शेष कार्यों को तुरंत पूर्ण करने की सूचना पूर्व में ही दी गई थी। हैरत की बात है कि विभागीय नियंत्रक के स्पष्टीकरण और अधूरे कार्य के दावे के महज 2 दिन में ही यह खबर आयी कि इस निर्माणाधीन बस स्टैंड की इमारत का लोकार्पण कर दिया गया। जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार, जिलाधिकारी विनय गौडा, मनपा आयुक्त विपीन पालीवाल तथा भाजपा नेताओं की मौजूदगी में ताड़ोबा की थीम पर 14.50 करोड़ की लागत से बन रहे बस स्टैंड को लोकार्पित किया गया। आश्चर्य की बात है कि इस कार्यक्रम में जिले के अन्य जनप्रतिनिधि, विधायक एवं सांसद की गैरमौजूदगी रही। और यहां भी लोकार्पण की जल्दबाजी का आभास देखने को मिला।