प्रॉपर्टी खाली करवाने – लगे रहो ‘मनपा भाई’ !

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 क्या किसी पुश्तैनी प्रॉपर्टी को खाली करवाना है ? किरायेदार व कोर्ट विवाद से मुक्ति चाहिये ?

 

■ चंद्रपुर मनपा की अजब भाईगिरी को मिला सत्ता का तोडू बुलडोजर

■ न्यायप्रविष्ठ प्रकरण का दुकान ढहाते ही कोर्ट ने मनपा पर लगा दी रोक

Illegal possession of property अर्थात संपत्ति पर अवैध कब्ज़ा की थीम लाइन को लेकर बनी फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई वर्ष 2006 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में वृद्धाश्रम को भाईगिरी के माध्यम से हड़पने वाले बोमन ईरानी के किरदार को दुरुस्त करने के लिए गेट वेल सून नामक शब्द ने चार चांद लगा दिये। जनता ने इस फिल्म को सराहा। संजय दत्त को ऊंचाई मिली। लेकिन अब वर्ष 2006 के भाईगिरी का बोमन ईरानी का किरदार असल जिंदगी में चंद्रपुर महानगर पालिका निभाने लगा है। सत्ता पक्ष का करीबी एक दुकान मालिक अपनी दुकान खाली करवाने में असमर्थ हुआ। तब मनपा के भाईगिरी की शरण ली गई। स्टॅबिलिटी सर्टिफिकेट पेश करने और हाईकोर्ट द्वारा मरम्मत की मरम्मत की अनुमति देने के बावजूद कोर्ट की अवमानना करते हुए भाईगिरी पर उतर आये चंद्रपुर मनपा प्रशासन ने अपना तोड़ू बुलडोजर लेकर पीड़ित दुकानदार का दुकान गिरा दिया। पीड़ित ने पुन: न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई तो भाईगिरी करने वाले मनपा प्रशासन पर आखिरकार अपनी कार्रवाई को रोकना पड़ा। मनपा की इस बेइज्जती के बावजूद उसके गेट वेल सून होने के चिन्ह दिखाई नहीं दे रहे हैं।

रियल कहानी की शुरुआत…

चंद्रपुर के सिविल लाइन निवासी 63 वर्षीय योगेश हर्शदराय लाठिया की कस्तुरबा मार्ग पर विशाल ऑटोमोबाइल नाम से दुकान है। यह दुकान एक इमारत के किराये के कमरे में बरसों से चलाई जा रही है। डॉ. श्रीकांत अडगुलवार के पिता स्व. विश्वनाथ अडगुलवार से योगेश लाठिया के पिता स्व. हर्शदराय लाठिया ने इस दुकान के कमरे को किराये पर लिया था। इमारत मालिक विश्वनाथ अडगुलवार के निधन के बाद उनके पुत्र डॉ. श्रीकांत को हर माह किराया दिया जा रहा था। परंतु रेंट को लेकर प्रकरण कोर्ट में दायर होने से यह मामला न्यायप्रविष्ठ हो गया। अब दुकान खाली करवा लेना डॉ. श्रीकांत के लिए आसान नहीं रहा। अब इसमें इंट्री हुई बोमन ईरानी जैसे भाईगिरी के किरदार की। यह किरदार निभाने के लिए आतुर हो गया मनपा प्रशासन।

भाईगिरी का दिया मनपा ने झटका

मनपा प्रशासन को इमारत मालिक की ओर से अपनी इमारत जर्जर होने तथा उसे ढहा देने का अनुरोध किया। अचानक मनपा प्रशासन मुस्तैद हो गया। बोमन ईरानी की तरह प्रॉपर्टी डिलर की भूमिका में अपनी कुनीतियों को साकार करना शुरू कर दिया। मनपा की ओर से 27 सितंबर 2022, 14 मार्च 2024 एवं 19 मार्च 2024 को दुकान की इमारत को निष्कासित करने अथवा मरम्मत कर स्ट्रक्चरल इंजीनियर का प्रमाणपत्र पेश करने के निर्देश दिये। मनपा के इन नोटिस पर पीड़ित दुकानदार योगेश लाठिया ने नागपुर हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर किया। 21 अगस्त 2023 के कोर्ट के फैसले में पीड़ित लाठिया को मरम्मत करने की अनुमति उच्च न्यायालय ने दे दी। 20 मार्च 2023 को कोर्ट के आदेशानुसार दुकान की मरम्मत का कार्य कर स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट आर्किटेक ए.डब्ल्यू. खान एवं आर्किटेक संजय झाडे ने दिया। उक्त दोनों रिपोर्ट 12 अप्रैल 2024 को मनपा में पेश किया गया। परंतु भाईगिरी पर उतारू मनपा प्रशासन, हाईकोर्ट और स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट पर कहां संतुष्ट होने वाला था। बोमन ईरानी की तरह किसी भी हाल में इमारत पर कब्जा करने की नीति मनपा ने बना ली।

सत्ता का पक्षपाती बुलडोजर चल पड़ा

मंगलवार, 24 सितंबर 2024 को न्यायप्रविष्ठ इस प्रकरण की दुकान को 50 वर्षों में ही जर्जर बताकर अचानक से बुलडोजर के माध्यम से तोड़ने के लिए मनपा का दस्ता 100 लोगों के दल-बल के साथ पहुंच गया। मनपा कर्मचारी, राजस्व विभाग के अधिकारी एवं पुलिस दल की मौजूदगी में सत्ता का पक्षपाती यह बुलडोजर विशाल ऑटोमोबाइल की दुकान को तोड़ने लगा। दुकान में दुकानदार, उनके परिजन और दुकान की सामग्री मौजूद थी। सामग्री को हटाने तक का मौका नहीं दिया गया। सीधे बुलडोजर चलाकर दुकान का एक हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया। कोर्ट का पूर्व का आदेश और स्टॅबिलिटी सर्टिफिकेट भी मनपा का दिल पिघला नहीं पाई। भाईगिरी की बीमार मानसिकता में हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए दुकान को ढहाने की नीति अपनाई गई।

विरोध प्रदर्शन और आयुक्त नॉटरिचेबल

दुकान के इमारत के मालिक और किरायेदार का विवाद न्यायालय में न्यायप्रविष्ठ रहते समय इस दुकान को खाली करवाना अासान नहीं था। असमर्थ इमारत मालिक की मनपा प्रशासन से साठगांठ और सत्ता के करीब के नाते ने इस भाईगिरी को बढ़ावा मिल गया। प्रॉपर्टी खाली करवाने की यह कुनीति जनता को समझ आने लगी। लोग तुरंत विरोध प्रदर्शन करने लगे। बुलडोजर थम गया। इस बीच मनपा आयुक्त विपीन पालीवाल को कोर्ट तथा स्टॅबिलिटी सर्टिफिकेट संबंधित दस्तावेज दिखाकर इस कार्रवाई को रोकने की गुहार लगाने के लिए अनेक लोग कॉल करने लगे। परंतु संभावित रोष का अंदाजा होने की आशंका के चलते मनपा आयुक्त ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था। उनके नॉट रिचेबल की नीति से मनपा के भाईगिरी और संपत्ति पर अवैध कब्ज़े की मंशा को बल मिल गया।

गुजराती और मारवाड़ी समाज लामबंध

योगेश लाठिया की दुकान को अवैध ढंग से ढहाने की मनपा की भाईगिरी की नीति, संपत्ति पर अवैध कब्ज़े की मंशा और सत्ता पक्ष का आशीर्वाद तथा प्रशासन के तोड़ू बुलडोजर की योजना को लेकर स्थानीय मारवाड़ी तथा गुजराती समाज पूरे खेल को समझ गया। इस अवैध भाईगिरी के खिलाफ दोनों समाज के प्रतिष्ठित लोग एकजुट हो गये। इन्होंने न केवल मनपा के कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर प्राप्त किया, बल्कि विरोधी दल कांग्रेस के सांसद प्रतिभा धानोरकर से भेंट कर इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश की।

केवल एक ही दुकान को क्यों बनाया निशाना ?

चंद्रपुर महानगर पालिका प्रशासन ने मार्च 2024 के दौरान शहर के अनेक इमारतों, मकानों, दुकानों को जर्जर होने की सूचना देते हुए उसे ढहाने अथवा मरम्मत कर स्टॅबिलिटी सर्टिफिकेट पेश करने संबंधित नोटिस थमाया था। मार्च के बाद से बारिश का मौसम गुजर गया। किंतु योगेश लाठिया का दुकान बारिश में क्षतिग्रस्त तक नहीं हुआ। ऐसे में लाठिया की ओर से मनपा को पेश किये गये स्टॅबिलिटी सर्टिफिकेट के बावजूद मनपा प्रशासन उनकी एकमात्र दुकान को ही क्यों ढहाने के लिए बुलडोजर लेकर निकल पड़ा ? इसके पीछे का सच काफी हैरतअंगेज है। यदि किसी उच्च स्तरीय न्यायालयीन जांच कमेटी इसकी जांच करें तो यह ज्ञात होगा कि इसके पीछे के चेहरे कितने बड़े हैं ? मनपा आयुक्त विपीन पालीवाल अपने अधिकारों और मनपा प्रशासन के संसाधनों का कैसा दुरुपयोग कर रहे हैं ? यह जनता के सामने आ पाएगा।