■ छिटपूट आंदोलन, शिकायत, निवेदन से धमकाकर बिगाड़ रहे राजनीतिक माहौल
पिछले दशक तक राजनीति को जनसेवा का एक माध्यम समझा जाता था। लेकिन अब वर्तमान राजनीति केवल और केवल करोड़ों का धन बटोरने का माध्यम बन चुकी है। यह हालात लोकतंत्र के लिये सबसे बड़ा खतरा है। यदि छुटभैये नेता ही अगर समाज के ठेकेदार बन बैठे हो तो उस समाज का भला कैसे हो पाएगा ? यह सवाल अब आम जनता को भी सताने लगा है। राजनीति में आकर अपने मामूली पद से भी लाभ उठाने की चाह कुछ छुटभैये नेताओं के लिए पैसे कमाने का धंधा बन गया है। अपनी दबंग छवि और राजनीतिक दल का इस्तेमाल करते हुए यह छुटभैये नेता अपने कुछ चंद और खास सहयोगियों को साथ लेकर चलते हैं। जहां मौका मिले, वहां डेरा ड़ाल लेते हैं। कहीं कोई मामूली गड़बड़ी भी नजर आ जाएं तो अपने कुछ करीबी व पसंदिदा लाभार्थी मीडिया कैमरों को साथ बुला लेते हैं। फिर शुरू होता है, आंदोलन और चेतावनियों का दौर। सामने वाला मान गया तो ठीक, वरना फिर उस मसले को राजनीति का रंग चढ़ा दिया जाता है। यदि आर्थिक लाभ न मिले तो राजनीतिक लाभ तो जरूर मिल ही जाएगा, यह सोच छुटभैये नेताओं की सीढ़ियां बन गई है। इस राजनीतिक दादागिरी और वसूली के तंत्र पर पुलिस का ध्यान क्यों नहीं जा पा रहा है ? यही चिंता का विषय बना हुआ है।
कोयला, रेत, उद्योग, व्यापारी बनते हैं छुटभैयों का निशाना
रात में मटरगश्ती, पार्टियां, अपने चेलों के साथ हुड़दंगबाजी करने वाले अनेक छुटभैया नेताओं को दिन के समय कड़क प्रेस के चटकिले व श्वेत वस्त्रों में देखा जा सकता है। इन्हें पहचानना हो तो इनके गले में पार्टी के दुपट्टे देख लीजिये। इनके साथ वही चंद चेहरे, हट्टे-कट्टे बेरोजगार युवा, किसी भी समय नारे लगाने के लिए तैयार जुबान, बॉडीगार्ड की तरह बर्ताव करने वाले व्यक्तित्व के बलबूते अनेक कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। कभी कोयला व्यापारी, कभी रेत व्यापारी, कभी उद्योगों के मैनेजर तो कभी बाजार के किसी बड़े दुकान के व्यापारी इनके जाल में फंस जाते हैं। यह सबकुछ जनता के सामने दिखाई पड़ता है। किंतु इनसे सवाल पूछने या इनकी कारगुजारियों पर आपत्ति जताने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता। यहां तक की प्रशासन में बैठे आला अफसर भी इनके सामने मन मारकर चुप्पी साध लेते है। ऐसे में पुलिस विभाग की ओर से छुटभैये नेताओं की दादागिरी और वसूली तंत्र को नजरअंदाज किया जाना, आम जनता के लिए हैरत का विषय बनता जा रहा है।
छुटभैये नेताओं को कौन दे रहा है संरक्षण ?
आये दिन छुटभैये नेताओं की कारगुजारियों को काफी लोग परेशान हैं। कोई न कोई इनके चंगुल में फंस जाता है या यूं कहे कि छुटभैये नेता किसी न किसी को अपने चंगुल में फांसने के लिए काफी सक्रिय होकर अपने कार्यकर्ताओं को काम पर लगा देते हैं। जैसे ही कोई गड़बड़ी की खबर इन तक पहुंचती है, ये तत्काल संबंधितों तक पहुंच जाते हैं। पहले तो दबाव तंत्र का उपयोग किया जाता है। जब कोई इनके दबाव के आगे नहीं झुकता तब इनके आंदोलन, शिकायत, निवेदन और वरिष्ठ नेताओं तथा उनके पीए द्वारा कॉल करवाना शुरू हो जाता है। कोई अगर फिर भी न माने तो यह शिकायतें सीधे मंत्रालयों तक पहुंच जाते हैं। इन सभी झंझटों में पड़ने के बजाय पीड़ित इन्हें मोटी रकम देकर अपना पिंड छुड़ा लेने की कोशिश करता है। और यही से छुटभैये नेताओं की हिम्मत बढ़ जाती है। और इनके तथा इनके साथ घूमने वाले भाड़े के समर्थकों की चांदी हो जाती है। मिल बांटकर कार्य करने की शैली का पूरा तंत्र, राजनीति के भरौसे काली कमाई में तब्दील हो रहा है। इनकी तमाम मंशाओं को सपोर्ट करने के लिए कुछ चुनिंदा नेता और चुनिंदा अफसरों के साथ-साथ, कुछ लोग भी सक्रिय है।
छुटभैये नेताओं की आमदनी का जरिया जीरो ?
छुटभैये नेताओं की सक्रियता दिन भर कहीं न कहीं महसूस की जा सकती है। यह अपने राजनीतिक दलों के वस्त्रों में कहीं भी नजर आते हैं। हर समय यह किसी न किसी राजनीतिक गतिविधि को अंजाम दे रहे होते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इनकी रोजी-रोटी और आमदनी का जरिया क्या है ? छुटभैये नेता लोग कब अपने काम पर समय दे पाते होंगे ? यह ऐसा कौनसा काम करते हैं, जिसके बदलौत यह इतने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को साथ लेकर चलते है। इन्हें शाम ढलते ही पार्टियां दी जाती है। इनके पेट्रोल व जेब खर्च को छुटभैये नेतागण कैसे मैनेज करते हैं ? ये छुटभैये नेता खुद तो कोई काम करते नहीं, न ही इनका कोई बड़ा उद्योग होता है। न तो इनकी कोई पुश्तैनी करोड़ों की जायजाद है। ऐसे में केवल मामूली राजनीतिक पदों के भरौसे इतना सारा तामझाम ये कैसे कर लेते होंगे ? इनके संपत्तियों की और आमदनी के स्त्रोतों की जांच क्यों नहीं हो पाती ? इन्हें मिल रहे लाखों के फंड, डोनेशन के पीछे आखिर फंडा क्या है ? इसकी जांच और तहकीकात पुलिस विभाग की ओर से क्यों नहीं हो पा रही है ? क्या पुलिस विभाग का खूफिया तंत्र छुटभैया नेताओं की करतूतों के आगे फेल हो गया है ?