■ खास ठेकेदार को ठेका दिलाने नियम ही बदल दिया CE ने
■ Rfx no -3000062802, कीमत – 18.83 करोड़
चंद्रपुर.
महाजेनको के कार्यकारी निदेशक ने 8 जून 2018 को महाराष्ट्र के सभी बिजली निर्माता ईकाइयों को उनके ठेकों से संबंधित गाइडलाइन का पत्र भेजा था। यह पत्र चंद्रपुर CSTPS के नाम से भी है। इस पत्र में ठेकों के आवंटन को लेकर स्पष्ट रूप से नियम निर्धारित किए गए हैं। विभिन्न कार्यों के लिए ओपन टेंडर जारी करते समय समान प्रकृति के कार्य की परिभाषा निर्धारित है। तय कार्य का दर राज्य व केंद्र सरकार के दर के समतुल्य होना चाहिए। लेकिन चंद्रपुर CSTPS एकमात्र ऐसा घोटाला स्थल है, जहां PWD के रेट से ज्यादा कीमत पर सिविल कार्यों का आवंटन किया जा रहा है।
■ PWD की तरह बिलो रेट पर ठेके देना किसने खत्म किया ?
बरसों से चल रहे इन घोटालों में अनेक ठेके ऐसे दिए गए हैं जो कभी बिलो रेट पर नहीं थे। और तो और सिविल वर्क में ठेकों की योग्यता के नियम में अनुभव सिविल वर्क का चाहिए, लेकिन चंद्रपुर CSTPS के मुख्य अभियंता विजय राठौड़ ने महाजेनको के तय नियमों में बदलाव कर समान कार्य परिभाषा की धज्जियां उड़ा दी है।
■ रिंग वाले खास ठेकेदार के लिए…
CSTPS में एक प्रकार के विशेष ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की नीयत नजर आती है। सिविल कार्य संबंधित ठेकेदारों की टेंडर में स्पर्धा खत्म करने, बड़े ठेकेदारों के सिंडिकेट को बढ़ावा देना, बिलो टेंडर को चोंट पहुंचाकर रिंग बनाकर चलने वाले ठेकेदारों को अधिक मुनाफा पहुंचाने के इरादे से केवल उन्हीं ठेकेदारों को सिविल कार्य के लिए योग्य माना गया है जो कोल हैंडलिंग प्लांट से संबंध रखते हैं। जबकि सिविल कार्य का और कोल हैंडलिंग का दूर-दूर तक कोई खास संबंध नहीं है।
■ महाजेनको के तय नियमों की उड़ी धज्जियां
चंद्रपुर CSTPS के मुख्य अभियंता विजय राठौड़ ने सिविल कार्यों के लिए तुगलकी नियम बना दिया है कि बोलीदाता के पास MSPGCL, NTPC, SEB, केंद्रीय/राज्य सरकारी संगठन, केंद्रीय विद्युत उत्पादन कंपनी, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम या MAHAGENCO के EPC/Turnkey/BOT ठेकेदार के स्वीकृत सब-वेंडर के रूप में CHP से संबंधित कार्य का अनुभव होना चाहिए। जबकि महाजेनको के कार्यकारी निदेशक 8 जून 2018 को ही अपने पत्र में स्पष्ट गाइडलाइन दे चुके हैं। यहां चंद्रपुर CSTPS में महाजेनको के कार्यकारी निदेशक के निर्देशों का साफ-साफ उल्लंघन हो रहा है। यह केवल उल्लंघन का मामला नहीं, बल्कि खास ठेकेदारों को करोड़ों का लाभ पहुंचाने, स्पर्धा खत्म करने और सरकारी धन को चूना लगाने का काम चल रहा है।
■ 18.83 करोड़ के टेंडर में स्पर्धा खत्म
गत 7 नवंबर 2025 को चंद्रपुर CSTPS के मुख्य अभियंता विजय राठौड़ ने सिविल कार्य के Rfx नंबर -3000062802 के तहत 18 करोड़ 83 लाख 20 हजार 618 रुपये का टेंडर नोटिस 28 नवंबर 2025 की मियाद के लिए जारी किया है। इस टेंडर्स के लिए कॉम्पिटिटिव बिडिंग प्रोसेस में हिस्सा लेने के लिए जानी-मानी और अनुभवी कंपनियों से प्रपोज़ल मंगवाये गये है। यहां CSTPS चंद्रपुर में CHP-B STACKER II एरिया (500 MW) में कोयला स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के लिए RCC प्लेटफॉर्म फैसिलिटी का कंस्ट्रक्शन करवाना है। अब इस निर्माण कार्य के लिए आमतौर पर सिविल ठेकेदार सक्षम हैं। लेकिन कोल हैंडलिंग प्लांट का अनुभव उसी ठेकेदार के पास उपलब्ध है, जो पूर्व से CHP से जुड़े कार्य कर रहा है। जबकि यह तमाम बड़े ठेकेदार रिंग बनाकर इस ठेके को पाने के लिए सक्षम बन जाते हैं। और जिन्हें सिविल वर्क का अच्छा खासा अनुभव हैं, उन्हें आसानी से दरकिनार कर दिया जाता है। इससे टेंडर की स्पर्धा खत्म तो हो ही रही है, बल्कि सिविल कार्य में PWD की तरह बिलो रेट पर ठेका नहीं जा पा रहा है। जिससे सरकार का करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
■ क्या है महाजेनको के तय नियम ?
सिविल कार्यों के लिए – समान प्रकृति के कार्य की परिभाषा -“MSPGCL / NTPC / SEBs / केंद्र या राज्य सरकार के विभाग / केंद्रीय विद्युत उत्पादन कंपनियाँ / सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम / (MAHAGENCO के EPC/Turnkey/BoT ठेकेदार के स्वीकृत सब-वेंडर) द्वारा किए गए समान प्रकार के कार्य।”साथ ही सिविल कार्यों के अलावा वे कार्य, जो उपकरण/सिस्टम से संबंधित हों अथवा न हो और जिनमें MW क्षमता का उल्लेख आवश्यक हो या न हो – समान प्रकृति के कार्य की परिभाषा -“200 MW या उससे अधिक क्षमता की इकाई में MSPGCL / NTPC / SEB / सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम / केंद्रीय विद्युत उत्पादन कंपनियाँ / (MAHAGENCO के EPC/Turnkey/BoT ठेकेदार के स्वीकृत सब-वेंडर) द्वारा किए गए समान प्रकार के कार्य।”
स्वीकृत सब-वेंडर को पात्र मानने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करना अनिवार्य है, जिनमें – महाजेनको की सहमति/अनुमति पत्र होना चाहिए। EPC/Turnkey/BoT ठेकेदार से प्राप्त कार्यादेश (Work Order) होना चाहिए। कार्य का सफलतापूर्वक निष्पादन करने का प्रमाण (Execution Certificate) उपलब्ध होना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख हो।
निर्देश है कि सभी नए प्रस्ताव/PR उपरोक्त संशोधित समान प्रकृति के कार्य की परिभाषा के अनुसार प्रक्रिया में लाए जाएँ। सभी नए कार्यों के टेंडर, जो प्रकाशित करने के लिए तैयार हैं, अब इस संशोधित परिभाषा के साथ ही जारी किए जाएँ।
■ ठेका सिंडिकेट के रिंग प्रणाली पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ध्यान नहीं
चंद कंपनियों का गठजोड़ महज ठेका प्रक्रिया नहीं बल्कि एक संगठित क्राइम सिंडिकेट बन चुका है। रणजीत सिंह सलूजा प्रा. लि., भावना एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि., यूनाइटेड इंजीनियर्स, तिरुपति कंस्ट्रक्शन्स, अढोरे कॉन्ट्रैक्टर्स प्रा. लि., वीके एंटरप्राइजेस, पवनसिद्धि सप्लायर्स प्रा. लि., क्रीडप्रसाद सप्लायर्स प्रा. लि., अखैलाच इंजिनियरिंग, ABU कंस्ट्रक्शन्स, वी.एस. खापे, एस. एंटरप्राइजेस, प्रविण एंटरप्राइजेस, A.S. गीते और इनके समूह की अन्य सहयोगी फर्में आदि ने मिलकर एक कार्टेल/रिंग बनाई है, जिसके सहारे यह लगातार ठेके हासिल कर रहे हैं। इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस का ध्यान नहीं है।
■ ई-टेंडर प्रक्रिया में ही घोटाला
CSTPS के ठेका सिंडिकेट की सबसे खतरनाक करतूत यह है कि ये लोग ई-टेंडर प्रक्रिया में पहले से ही तय कर लेते हैं कि किसे L1, L2 या L3 बनना है। यानी बोली प्रक्रिया मात्र एक मजाक बनकर रह गई है। अनुमानित बजट कीमतें भी जानबूझकर फुला दी जाती हैं, ताकि सिंडिकेट के ठेकेदार करोड़ों का अनुचित लाभ कमा सकें। नतीजा यह होता है कि महाजेनको को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा घोटाला संभव ही नहीं है। इन सिंडिकेट को संरक्षण देने में मुख्यालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी संदिग्ध माने जा रहे हैं। इनमें डिप्टी C.E. भूषण शिंदे, डिप्टी C.E. श्याम राठौड़, SE (RP) राजूरकर, EE जयप्रकाश बोवड, SE (CHP) दत्तात्रय पिंपळे, SE (MPD) पारखड़े मैडम, EE विक्की राठौड़, SE संजय हिरवे, SE महेश पराते, श्री डोडल (लेखा विभाग प्रमुख), जैसे अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। अब आवश्यकता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से इस सिंडिकेट को खत्म करने के लिए उच्च स्तरीय विजिलेंस की जांच बिठाई जाएं। और सरकार का करोड़ों का नुकसान रोका जाएं।










