■ राजुरा ‘वोट चोरी’ कांड में चंद्रपुर पुलिस सजग
चंद्रपुर.
कल 19 सितंबर 2025 को Chief Electoral Officer Maharashtra के फेसबुक पेज पर जो खुलासानुमा प्रेसनोट अपलोड किया गया था, उसमें राजुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुए मतदाता पंजीयन के फर्जीवाड़े की जो जानकारी दी गई है कि उससे एक बात तो साफ है कि चुनाव आयोग ने राजुरा के फर्जीवाड़े को मान्य किया है। लेकिन विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राजुरा और चंद्रपुर के कर्तव्यदक्ष पुलिस प्रशासन की ओर से गत 11 माह में 5 बार चुनाव आयोग को पत्र भेजा और इस फर्जीवाडे से संबंधित डेटा एवं अन्य जानकारियां उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। परंतु यही चुनाव आयोग गत 11 माह में पुलिस को सहयोग नहीं कर पाया है। ऐसे में असली वोट चोरों के गिरेबान तक पहुंचने के लिए पुलिस की जांच अटकी हुई है। चुनाव आयोग के अडंगे के बीच चंद्रपुर की दक्ष व सक्षम पुलिस आखिर किस तरह से 6861 फर्जी वोटरों के सरगना और आरोपियों को गिरफ्तार कर पाएगी ? यह सबसे अहम सवाल बना हुआ है। कर्नाटक के CID की ओर से 18 बार भारतीय चुनाव आयोग को पत्र भेजा गया था, इन पत्रों का जवाब चुनाव आयोग ने अब तक नहीं दिया। ठीक इसी तरह चंद्रपुर पुलिस प्रशासन की ओर से गत 11 माह में 5 बार पत्र भेजे जाने की एक्सक्लूसिव जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से मिली है।
डेटा ही नहीं देंगे तो चंद्रपुर पुलिस क्या करेगी ?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 18 सितंबर 2025 को दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में चंद्रपुर जिले के राजुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुई वोट चोरी का मामला उजागर किया था। 20 सितंबर 2025 को ECI (Election Commission of India) के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने एक प्रेसनोट जारी कर राहुल गांधी के आरोपों का सिरे से खंडन किया। वहीं Chief Electoral Officer Maharashtra ने भी एक प्रेसनोट मराठी भाषा में जारी कर विस्तार से अपना पक्ष रखा। जबकि राहुल गांधी ने सॉफ्टवेयर, ऑटोमेटिकली वोट काटने-जोड़ने, ऑनलाइन फॉर्म भरने, ओटीपी के आदान-प्रदान, मोबाइल फोन नंबर का इस्तेमाल, मोबाइल या कंप्यूटर से एक्सेस हुआ उनका आईपी एड्रेस, आदि के तकनीकी मुद्दों को उठाते हुए कर्नाटक CID द्वारा चुनाव आयोग को लिखे 18 पत्रों का जिक्र किया। ठीक इसी तरह का खेल चंद्रपुर जिले में दिखाई पड़ता है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चंद्रपुर के पुलिस प्रशासन ने भी संबंधित इलेक्ट्रॉनिक डेटा आदि की जानकारी के लिए चुनाव आयोग को 5 बार पत्र लिखा। परंतु आयोग ने अब तक पुलिस के पत्रों का कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। ऐसे में सवाल उठना लाजिम है कि राजुरा के ऑनलाइन पंजीयन फर्जीवाड़े से संबंधित 6861 वोटरों का डेटा नहीं मिलेगा तो उनकी सही ढंग से जांच कैसे होगी ? और उन्हें कैसे गिरफ्तार किया जा सकेगा ? यह पुलिस विभाग के सामने संकट की समस्या है।
महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी ने क्या कहा ?
Chief Electoral Officer Maharashtra नाम से फेसबुक पेज पर जो प्रेसनोट कल जारी किया गया है, उसमें राजुरा को लेकर महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी ने खुलासा किया है। परंतु खुलासे में कहीं भी संबंधित दोषियों की जांच और कार्रवाई के लिए सहयोग करने का जिक्र नहीं है। आयोग का कहना है कि राजुरा में 6,861 फर्जी वोटर आवेदन रद्द किए गए। समय पर कार्रवाई से फर्जीवाड़ा रोका गया। राजुरा विधानसभा क्षेत्र में फर्जी वोटर रजिस्ट्रेशन की बड़ी कोशिश नाकाम कर दी गई। जिला प्रशासन की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से कुल 6,861 फर्जी आवेदन रद्द कर दिए गए, जिससे ये नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सके। 1 से 17 अक्टूबर 2024 के बीच 7,592 नए वोटर रजिस्ट्रेशन आवेदन प्राप्त हुए थे। मतदान केंद्र स्तर अधिकारियों (BLO) ने जांच के दौरान गंभीर अनियमितताएं पाईं। कई आवेदक दिए गए पते पर रहते ही नहीं थे, कुछ आवेदक वास्तविक रूप से मौजूद ही नहीं थे, कई फॉर्म में फोटो और जरूरी दस्तावेज़ संलग्न नहीं थे। जांच के बाद 6,861 आवेदन अवैध घोषित कर खारिज कर दिए गए। जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मतदाता पंजीयन अधिकारी और राजुरा के उपविभागीय अधिकारी को गहन जांच और कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके तहत लोकप्रतिनिधित्व कानून 1950 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत मामला दर्ज कर राजुरा पुलिस थाने में अपराध क्र.629/2024 पंजीकृत किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, समय पर कार्रवाई के चलते राजुरा (70) विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में फर्जी नाम शामिल नहीं हो पाए। जिला प्रशासन ने कहा कि यह घटना चुनावी पारदर्शिता बनाए रखने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सुरक्षा का उदाहरण है।










