■ 339 दिनों बाद भी फर्जी वोटरों को क्यों नहीं खोज पाएं यह नहीं बताया ECI के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने
चंद्रपुर.
कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी ने 18 सितंबर 2025 की सुबह दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के राजुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुई वोट चोरी का भी मामला गंभीरता से उठाया था। आज, 10 सितंबर 2025 को ECI (Election Commission of India) के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने एक प्रेसनोट जारी कर राहुल गांधी के आरोपों का सिरे से खंडन किया है। लेकिन हैरत की बात है कि ECI के इस प्रेसनोट में कहीं भी राजुरा के वोट चोरी प्रकरण की जांच के प्राथमिक नतीजों का जिक्र तक नहीं किया गया है। राजुरा ऑनलाइन पंजीयन फर्जीवाड़ा उजागर होने के 339 दिनों बाद भी फर्जी वोटरों को क्यों नहीं खोज पाएं, इसकी जानकारी उक्त ECI के प्रेसनोट में नहीं है।
क्या खुलासा किया है राजुरा के प्रकरण पर ECI ने ?
राजुरा (चंद्रपुर, महाराष्ट्र) मामले में चुनाव आयोग ने बताया कि राजुरा विधानसभा क्षेत्र में 7,792 नए वोटर पंजीकरण के आवेदन मिले थे, जिनमें से 6,861 आवेदन जांच के बाद अमान्य पाए गए और रद्द कर दिए गए। इतनी बड़ी संख्या में संदिग्ध आवेदन मिलने पर निर्वाचक निबंधन अधिकारी ने जांच कराई और इसके बाद क्राइम नंबर 629/2024 के तहत राजुरा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया गया। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ना, हटाना या सुधारना केवल कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही किया जा सकता है। आयोग का उद्देश्य है कि हर योग्य मतदाता का नाम सूची में शामिल हो और किसी भी अयोग्य व्यक्ति का नाम दर्ज न हो।
राहुल गांधी ने क्या आरोप लगाए थे ?
राहुल गांधी ने एक दिन पूर्व दिल्ली में प्रेस क्रांफेंस में आरोप लगाए थे कि राजुरा विधानसभा क्षेत्र में भी वोट चोरी की गई। इस उन्होंने जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि यह कोई अकेला मामला नहीं, बल्कि पूरे देश में लोकतंत्र को कमजोर करने वाली एक सुनियोजित साजिश है। राजुरा में करीब 6,850 वोटरों की सूची में गड़बड़ी की गई, कुछ जगहों पर नाम बिना जानकारी के डिलीट किए गए, तो कुछ जगहों पर फर्जी नाम जोड़े गए। राहुल गांधी ने कहा, “यह वही पैटर्न है, जो हमने कर्नाटक, हरियाणा, यूपी और बिहार में देखा। जिन लोगों ने नाम जोड़े या हटाए, उन्हें खुद इसकी जानकारी नहीं। यह पूरे सिस्टम का खेल है।” राहुल गांधी ने दावा किया कि यह सिस्टम केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं, बल्कि कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित कई राज्यों में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि “युवा पीढ़ी को इस लोकतंत्र-विरोधी साजिश को समझना होगा” और चुनाव आयोग को उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने की चेतावनी दी।
अहम सवाल
राहुल गांधी के पॉवर प्रेजेंटेशन में राजुरा का एक वोटर YUH UQJJW के नाम से दर्शाया गया। इस नाम के वोटर की पहचान सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा सका ? यह वोटर कौन है ? कहां रहता है ? कौनसे आईपी एड्रेस से इसने अपने नाम YUH UQJJW का पंजीयन कराया था ? इसका लोकेशन, सीडीआर रिपोर्ट, बयान आदि की जांच क्यों नहीं हो पाई ? 339 दिन पूर्व स्थानीय मीडिया रिपोर्ट एवं कुछ जागरूक प्रत्याशियों ने फर्जी वोटरों के ऑनलाइन पंजीयन की शिकायत देते हुए इसे उजागर किया था। 15 अक्टूबर 2024 से अब तक 339 दिन अर्थात करीब 11 माह गुजर चुके हैं। लेकिन संबंधित 6,853 फर्जी वोटरों को पकड़ने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फर्जीवाड़े मामले में अपराध तो दर्ज करवा लिया, लेकिन एक भी आरोपी नहीं पकड़ा जा सका। अब जब ECI ने आज इस प्रकरण में राहुल गांधी के सवालों का जवाब देने के लिए प्रेसनोट जारी किया है तो इस मामले की जांच को लेकर कोई खुलासा नहीं किया जा गया। इससे यह अंदेशा होता है कि 11 माह से चुनाव आयोग को इस गड़बड़ी के असली आरोपियों तक पहुंचने और राज का पर्दाफाश करने की कोई इच्छा नहीं है।










