संपादकीय
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को भले ही ‘लोकतंत्र का पर्व’ कहा गया हो, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। चुनावी मैदान में विचारों की नहीं, धनबल की आंधी चली। नेशनल इलेक्शन वॉच और ADR(Association for Democratic Reforms) की ताजा रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि इस बार सिर्फ वोट नहीं, बल्कि रुपयों की भी जमकर बारिश हुई। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस धनवर्षा में आचार संहिता के नियमों को खुलेआम ताक पर रखा गया।
चौंकाने वाले आंकड़े यह बताते हैं कि किसने कितना खर्च किया ? भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कुल ₹1493.91 करोड़ खर्च किए। यह सभी दलों के कुल खर्च का 44.56 % हिस्सा है। यह कांग्रेस के मुकाबले ढाई गुना अधिक है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने कुल ₹620.14 करोड़ खर्च किए। सभी दलों के कुल खर्च का यह 18.50 % रहा। इन दोनों दलों के अलावा बाकी 30 पार्टियों ने संयुक्त रूप से बाकी का 36.94 % खर्च किया।
वहीं खर्च की रिपोर्टिंग में भी लापरवाही बरती गई। 21 पार्टियों ने अभी तक अपने खर्च की रिपोर्ट चुनाव आयोग को नहीं सौंपी है। इनमें शिवसेना, सीपीआई, और एनसीपी जैसी पार्टियां शामिल हैं। BJP ने अपनी रिपोर्ट 139 से 144 दिनों की देरी से सौंपी। आम आदमी पार्टी ने 168 दिन बाद रिपोर्ट दी। जबकि कांग्रेस ही समय पर रिपोर्ट देने वाली पार्टी रही।
हैरत की बात है कि सोशल मीडिया खर्च भी अपारदर्शी रहा। चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देश के बावजूद कई पार्टियों ने सोशल मीडिया खर्च को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से अलग नहीं दिखाया। यह पारदर्शिता की भारी कमी और नियमों की अनदेखी को दर्शाता है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि BJP का खर्च इतना अधिक क्यों हुआ ? क्या इन्हें सत्ताधारी होने का लाभ मिला ? इलेक्टोरल बोंड्स और कॉर्पोरेट फंडिंग से भारी मात्रा में धन प्राप्त हुआ। प्रचार तंत्र की ताकत का भरपूर उपयोग किया गया। सोशल मीडिया, टीवी, डिजिटल विज्ञापन और रैलियों में BJP का बोलबाला रहा। कांग्रेस और अन्य पार्टियां इस स्तर की मार्केटिंग नहीं कर पाईं। वर्ष 2019 के मुकाबले 2024 में डिजिटल प्रचार खर्च में भारी उछाल रहा। BJP ने ₹7.5 करोड़ से ₹54.9 करोड़ रुपये खर्च किये। जबकि इस मामले में कांग्रेस ₹2 करोड़ से ₹34.4 करोड़ रुपये ही खर्च कर पायी।
अब सवाल यह उठता है कि क्या इतना खर्च वाजिब है ? जब एक आम उम्मीदवार पर चुनावी खर्च की सीमा तय है, तो पार्टियों को असीमित खर्च की छूट क्यों? ADR की पुरानी सिफारिशों पर गौर करें तो ज्ञात होता है कि पार्टी का खर्च उम्मीदवार की सीमा के 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। BJP छोड़ अन्य दलों ने समर्थन किया, लेकिन यह सिफारिश अब तक लागू नहीं हुई। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इस चुनाव में धड़ल्ले से आचार संहिता की अनदेखी की गई। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों की अवहेलना तो की ही गई। वहीं खर्च के रिपोर्टिंग में भी देरी की गई। खर्च का अपारदर्शी ब्योरा दिया गया। सोशल मीडिया प्रचार का गलत वर्गीकरण किया गया। ये सभी संकेत करते हैं कि राजनीतिक दलों ने आचार संहिता का पालन केवल औपचारिकता के रूप में किया।
ADR के सुझाव को चुनावी प्रकिया में शामिल किया जाना चाहिये। यह पारदर्शिता के लिए जरूरी कदम हो सकते हैं। सभी चंदे की जानकारी सार्वजनिक की जाए, चाहे रकम कितनी भी हो। खर्च केवल चेक, DD, या RTGS से किया जाए। पार्टियों के खर्च पर भी उम्मीदवारों जैसी सख्त निगरानी हो। रिपोर्टिंग में देरी या गलत जानकारी पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिये। यह दुनिया का सबसे महंगा चुनाव साबित हुआ है। लेकिन जवाबदेही सबसे कम दिखाई पड़ी। 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुमानित ₹1.35 लाख करोड़ खर्च हुए। इसका एक बड़ा हिस्सा अनट्रैक्ड है। जितना बताया गया, हकीकत में उससे कहीं ज्यादा खर्च हुआ। लेकिन यह पैसा वोटर तक नहीं, बल्कि प्रचार की चमक-दमक तक ही सीमित रह गया।
इसके चलते यह सवाल उठता है कि लोकतंत्र की कीमत कितनी है ? चुनाव सिर्फ वोट देने का नहीं, बल्कि यह जानने का भी अधिकार होना चाहिए कि किसने, कैसे और कितना खर्च किया। अगर पार्टियां पारदर्शिता से भागेंगी, तो लोकतंत्र का अर्थ खो जाएगा। “वोट का मूल्य विचार से तय हो, ना कि विज्ञापन से”। यही लोकतंत्र की असली पहचान होनी चाहिए। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने ₹1494 करोड़ खर्च किए। कांग्रेस ₹620 करोड़ के साथ दूसरे नंबर पर रही। AAP-BJP ने चुनाव आयोग को देरी से ब्योरा दिया। 16 मार्च से 6 जून 2024 के बीच लोकसभा और साथ में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 3,352.81 करोड़ रुपए खर्च किए गए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2024 के लोकसभा और साथ में हुए विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया। पार्टी ने लगभग ₹1,494 करोड़ खर्च किए, जो कुल चुनावी खर्च का 44.56 % है। कांग्रेस ने ₹620 करोड़ खर्च किए और खर्च के मामले में दूसरे स्थान पर रही, जो कुल खर्च का 18.5% है। ये जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में कुल 32 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के खर्च का विश्लेषण किया गया।
16 मार्च से 6 जून 2024 के बीच लोकसभा और चार राज्यों (आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम) में हुए चुनाव में कुल 3,352.81 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसमें से केवल राष्ट्रीय दलों का खर्च ₹2,204 करोड़ रहा, जो कुल का 65.75% है। 2024 लोकसभा चुनाव में NDA को 292 और I.N.D.I.A को 233 सीटें मिली हैं। हालांकि, भाजपा 272 के बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई, लेकिन NDA को बहुमत मिला।
प्रचार-प्रसार पर सबसे ज्यादा ₹2 हजार करोड़ खर्च बताया जाता है। ADR रिपोर्ट के मुताबिक, प्रचार-प्रसार पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया गया। सभी दलों ने मिलकर प्रचार पर ₹2,008 करोड़ खर्च किए, जो कुल खर्च का 53% से ज्यादा है। इसके बाद यात्रा खर्च दूसरे नंबर पर रहा, जिसमें ₹795 करोड़ खर्च किए गए। इस राशि में से ₹765 करोड़ सिर्फ स्टार प्रचारकों की यात्रा पर खर्च किए गए, जबकि बाकी कार्यकर्ताओं और प्रचारकों पर सिर्फ ₹30 करोड़ खर्च हुए। ADR अपने रिपोर्ट के 4 अहम मुद्दों पर ध्यानाकर्षण करती हैं। राष्ट्रीय दलों ने चुनाव के दौरान ₹6,930.25 करोड़ जुटाए, जबकि क्षेत्रीय दलों को ₹515.32 करोड़ ही मिले। यानी कुल फंड में से 93.08% राष्ट्रीय दलों के पास गया। उम्मीदवारों को नकद या एकमुश्त रकम के रूप में ₹402 करोड़ दिए गए। डिजिटल या वर्चुअल प्रचार पर ₹132 करोड़ खर्च हुए। उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित करने पर ₹28 करोड़ खर्च किए गए।
रिपोर्ट जमा करने में देरी हुई। चुनाव आयोग को हर दल को खर्च का ब्योरा 90 दिनों के भीतर देना होता है, लेकिन कई पार्टियों ने देरी की। आप (AAP) ने अपनी रिपोर्ट 168 दिन बाद जमा की। वहीं, BJP की रिपोर्ट में 139 से 154 दिन की देरी हुई। केवल कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभा दोनों का ब्योरा समय से दिया। कई पार्टियों की रिपोर्ट आयोग की वेबसाइट में नहीं है। ADR ने यह चिंता जताई कि कई पार्टियों की रिपोर्टें चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं थीं। इनमें NCP, CPI, JMM, शिवसेना (UBT) जैसी पार्टियां शामिल हैं। इसके अलावा कुछ दल जैसे PDP और केरल कांग्रेस (M) ने चुनाव लड़ने के बावजूद शून्य खर्च दिखाया है। रिपोर्ट में बताया गया कि 690 गैर-पहचानी पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया था, लेकिन उनकी खर्च की जानकारी रिपोर्ट में शामिल नहीं है।