सरकार की आलोचना पर बैन !

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■ आंदोलन, नारे, मोर्चे, मांग के प्रचार से कैसे बचेंगे सरकारी कर्मचारी ?

चंद्रपुर.
सरकारी कर्मचारियों के लिए महायुति सरकार का एक फरमान हाल ही में जारी हुआ है। महाराष्ट्र सरकार ने अब सरकार की नीतियों, नेताओं या किसी अफसर की आलोचना पर बैन लगा दिया है। सरकारी कर्मचारियों पर लगाम लगाने अब महायुति सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया है। इस फैसले के तहत अगर कोई सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों या किसी वरिष्ठ की आलोचना करते पाया गया तो उस पर एक्शन लिया जाएगा। उसे जेल जाने की नौबत आ जाएगी।
महायुति सरकार ने अब राज्य के सरकारी कर्मचारियों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। राज्य की महायुति सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए नया आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार, सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर सरकारी नीतियों, वरिष्ठों की आलोचना या मत प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे।
अब मुख्य सवाल तो यह उठता है कि अनेक बार सरकार के फैसलों से नाराज सरकारी कर्मचारी अपने-अपने संगठनों के बैनर तले आंदोलन, प्रदर्शन, धरना, मोर्चा आदि करते हैं। इस दौरान सरकार विरोधी नारे भी लगाये जाते हैं। अपने सहकर्मियों तक आंदोलन से जुड़ी जानकारियां पहुंचाई जाती है। मीडिया में अपने आंदोलन और सरकार की नीतियों के विरोध में खबरें प्रकाशित करने प्रेसनोट भेजे जाते हैं। संगठन की मांगों का प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जाता है। अब जब सोशल मीडिया पर अभिव्यक्त होने पर बैन लगा दिया गया हो तो तमाम कर्मचारी अपनी बात, अपनी मांगों को कैसे प्रचारित-प्रसारित कर पाएंगे ? यह सवाल कर्मचारियों के संगठनों को सताने लगा है।

▪️ सरकारी कर्मचारियों के लिए कड़ा फरमान
सरकार की आलोचना या मत प्रदर्शन पर लगेगी रोक, अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश

▪️ आलोचना पर होगी कार्रवाई
▪️ महायुति सरकार ने लिया बड़ा फैसला**
▪️ अब सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर सरकार की नीतियों या वरिष्ठ अधिकारियों की आलोचना नहीं कर सकेंगे।

▪️ 15 मई 2025 को जारी परिपत्र
सरकार ने यह निर्णय एक आधिकारिक परिपत्र के माध्यम से लागू किया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार की आलोचना महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1979 का उल्लंघन मानी जाएगी।

🔹 सोशल मीडिया पर निगरानी
▪️ किस प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध ?
फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर (X), इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप, लिंक्डइन आदि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह नियम लागू होगा।

▪️ क्या है सरकार की दलील ?
परिपत्र के अनुसार, इस प्रकार की आलोचना से “सरकारी कार्यों की अखंडता और निष्पक्षता” प्रभावित होती है।

🔹 कार्रवाई के निर्देश
▪️ आलोचना पर क्या होगी सजा ?
सरकारी कर्मचारी यदि सरकार की नीतियों या वरिष्ठ अधिकारियों की आलोचना करते पाए गए, तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन से लेकर बर्खास्तगी या जेल तक की कार्रवाई संभव है।

▪️ क्या कहता है नियम ?
यह आदेश महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1979 के तहत लागू किया गया है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के आचरण से जुड़ी सीमाएं तय की गई हैं।

🔹 विपक्ष का विरोध
▪️ कांग्रेस ने जताई कड़ी आपत्ति
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सरकार के इस कदम को “अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला” बताया।

▪️ सपकाल का बयान :
“यह सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए आलोचना को रोकना चाहती है। जनता की आवाज दबाने का यह प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।”

🔹 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संकट ?
▪️ विवादों में घिरा फैसला
सरकार के इस आदेश से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ने की आशंका जाहिर की जा रही है।

▪️ विशेषज्ञों की राय :
यह कदम कर्मचारियों की निजी स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

 ✅ अंतिम बात
महायुति सरकार का यह आदेश सरकारी व्यवस्था में अनुशासन कायम करने की कोशिश के तौर पर पेश किया गया है, लेकिन यह लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। आने वाले समय में इस पर कानूनी और सामाजिक बहस की पूरी संभावना है।