सीएसटीपीएस की प्रदूषणमुक्ति कब?

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  • जिले में लोगों के स्वास्थ्य पर हो रहा विपरित असर
  • बैंक गारंटी जब्त की जुर्माना भी लगाया
  • फिर भी नहीं माने सीटीपीएस के अधिकारी

चंद्रपुर : राज्य की पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे चंद्रपुर में आकर सीएसटीपीएस के प्रदूषण के मामले में स्वयं संबंधित अधिकारियों से चर्चा कर प्रदूषण की समस्या का हल खोजने वाली थी। लेकिन न वो आयी न सीएसटीपीस के अधिकारियों के साथ प्रदूषण पर चर्चा हुई और न समस्या का समाधान ढूंढा गया। उन्होंने विधिमंडल में चर्चा के दौरान सात दिन की डेडलाइन भी दी थी। लेकिन न उन्होंने डेडलाइन का पालन किया और न ही संबंधित अधिकारियों ने उसे गंभीरता से लिया। सीएसटीपीएस (चंद्रपुर सुपर थर्मल पाॅवर स्टेशन) का घातक प्रदूषण ज्यों के त्यों जारी हैं। सरकारें बदली, पर्यावरण मंत्री भी बदले, सरकार बदल के साथ पर्यावरण नीति भी बदली, सब बदला लेकिन बदला नहीं तो सीएसटीपीएस (चंद्रपुर औष्णिक बिजली केंद्र) का जानलेवा वायु प्रदूषण वर्तमान में खतरनाक स्तर पर पहुंचा है। कोयले की धूल, काला विनाशकारी धुआं, फ्लाय एश (राख) और वाहनों के आवागमन से पाॅवर स्टेशन परिसर में उड़ते धूल मिट्टी के सूक्ष्म कण बीमारियां फैला रहे हैं। सांस रोगों एवं कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के लोग शिकार हो रहे हैं। मर रहे हैं। लेकिन किसी का इस ओर ध्यान नहीं है। राज्य विधिमंडल के नागपुर शीतकालीन सत्र के दौरान इस पर चर्चा हुई। विधायक सुधाकर अडबोले ने प्रश्न उपस्थित किया था। विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने मामले की गंभीरता समझी थी और विधायक किशोर जोरगेवार ने भी अपने स्तर पर प्रदूषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। लेकिन हुआ क्या? आश्वासन देकर भी पर्यावरण मंत्री सुश्री पंकजा मुंडे चंद्रपुर नहीं आई। न उन्होंने प्रदूषणकारी उद्योग सीएसटीपीएस के अधिकारियों से चर्चा की और न ही उन्होंने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों की क्लास ली। सवाल है कि मंत्री और प्रशासन की ऐसी बेफिक्री, टालमटोल की नीति और समय निकालने की प्रवृत्ति के चलते प्रदूषण कैसे कम होगा?

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीसीबी) ने सख्ती बरतते हुए सीएसटीपीएस की बैंक गारंटी जब्त की। प्रदूषणकारी युनिटों की तत्काल मरम्मत का आदेश दिया। युद्दस्तर पर प्रदूषण नियंत्रण यंत्रणा लगाने को कहा। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। प्रदूषण जारी है। युनिट 1 और 2 तो बंद है। युनिट 9 भी खराब चल रहा है। ऐसे में बिजली उत्पादन प्रभावित न हो इस उद्देश्य से ज्यादा सख्ती न बरतते हुये शासन और प्रशासन सीएसटीपीस को प्रदूषण फैलाने की खुली छूट तो नहीं दे रहे हैं। अगर ऐसा है तो जनविरोधी कदम होगा और इसके लिए जनता सरकार को कभी माफ नहीं करेगी !