भ्रष्ट अफसरशाही के शिकंजे में फंसा है चंद्रपुर जिला प्रशासन

31

 

चंद्रपुर : अवैध गौण खनिज उत्खनन मामले में बल्लारपुर का तहसीलदार अभय अर्जुन गायकवाड और कवडजई का तलाठी (पटवारी) सचिन रघुनाथ पुकले को गिरफ्तार किया गया। उन पर रिश्वतखोरी का आरोप था और एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) के अधिकारियों ने पिछले महीने उन पर कार्रवाई की । तहसीलदार तो रंगेहाथों पकड़े गये और तलाठी कुछ दिन की फरारी के बाद हाथ आये। यह पूरा मामला बाड़ ही खेत खाने लगे जैसा है।

अवैध रेती या अन्य गौण खनिजों का उत्खनन रोकने की और तस्कर व माफियाओं पर लगाम कसने की जिन पर जिम्मेदारी हैं वे ही अगर अपने कर्तव्य निर्वहन के प्रति बेईमानी करने लगे तो व्यवस्था का क्या हश्र होगा ऐसा सवाल अपने आप स्वाभाविक रुप से पैदा होता है। प्रशासनिक व्यवस्था में इस कदर भ्रष्टाचार का पनप उठना और रिश्वतखोरी व कमीशनबाजी का इस हद तक खतरनाक दौर चलना देश के लोकतंत्र के लिए निश्चित ही घातक है। पर रिश्वतखोर तहसीलदार व तलाठी की गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि जिले में भ्रष्टाचार सर पर चढ़ कर बोलने लगा है।

गायकवाड व पुकले पकडे गये इसलिए अन्य सारे साव (सज्जन) ऐसा मात्र नहीं है। अवैध रेती और गौण खनिज उत्खनन के मामले में जिले में अब तक हुई सारी कार्रवाईयों का निष्पक्ष व स्वतंत्र ब्यौरा लिया जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि एक तहसीलदार गायकवाड व तलाठी पुकले ही रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार के दोषी नहीं है बल्कि जिले की प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े ऐसे कई तहसीलदार, नायब तहसीलदार, मंडल अधिकारी व तलाठी हैं जो अपने अपने क्षेत्र में रिश्वतखोरी की बहती गंगा में हाथ धो ले रहे हैं। मनमाना भ्रष्टाचार कर रहे हैं। लाखों करोड़ों कमा रहे हैं। प्रापर्टी बना रहे हैं। भ्रष्टाचार के गंदे तालाब के इन भ्रष्ट मगरमच्छों ने जिले की सारी प्रशासनिक व्यवस्था ही सड़ा डाली है। भ्रष्ट अफसरशाही के शिकंजे में फंसी जिले की प्रशासनिक व्यवस्था न आम लोगों को न्याय दे पा रही हैं और न जनसमस्याओं का निपटारा कर पा रही हैं।

जिवती, गोंडपिंरी, ब्रह्मपुरी, चिमूर, वरोरा, भद्रावती, राजुरा आदि तहसीलों की प्रशासनिक व्यवस्था संदेह के दायरे में हैं। किसी ने रेती तस्करों से दोस्ती की, किसी ने रेती तस्करों के जब्त किये गये ट्रक छोड़े, किसी ने जमीन रिकार्ड में हेराफेरी की तो किसी ने अपराधियों का साथ निभाया। रिश्वत ली और पैसे कमाये। एक नहीं ऐसे कई हैं। एसडीएम- तहसीलदार से लेकर तलाठी तक कई अधिकारी ऐसे गोरखधंधे में शामिल हैं। वे छुपे रुस्तम हैं। छुपकर ही काम करते हैं। भले ही सीधे व प्रत्यक्ष में न सही अपने दलाल, मध्यस्थ या एजंट के जरिये से पैसे लेते हैं। अपना चमत्कार दिखाते हैं। राजस्व विभाग में इन दिनों भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, कमीशनबाजी और चंदा उगाही का चलन जोरदार ढंग से चल निकला है। शायद यही वजह है कि भ्रष्टाचार के मामले में चंद्रपुर का राजस्व विभाग नंबर एक पर चल रहा है।