मंत्रालय में MPCB की शिकायत, अवैध कोल डिपो व प्रदूषण के लिए RO जिम्मेदार !

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 महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल चंद्रपुर के लापरवाह कामकाज की होगी जांच, वरिष्ठों तक पहुंची शिकायत से प्रशासन में खलबली

-मिलीभगत और मलाई लूटने की कुनीति पर अब अंकुश जरूरी

-प्रदूषण फैलाने वाले अवैध कोल डिपो को MPCB चंद्रपुर का संरक्षण

-RO तानाजी यादव अवैध उद्योगों के प्रदूषण रोकने में बुरी तरह विफल

चंद्रपुर :

गत दिनों ‘चंद्रपुर की बुलंद आवाज’ अखबार ने चंद्रपुर-पड़ोली परिसर में चल रहे अवैध कोल डिपो के कारनामों का कच्चा चिठ्‌ठा जनता के सामने रखा था। दिन-दहाड़े पे-लोडर लगाकर कोयले को खुले आसमान में उछालकर हवा में धूल उड़ाने, छननी करने और प्रदूषण फैलाने की तस्वीरें जारी की। MPCB की मिलीभगत और मलाई लूटने की कुनीति के बिना यह संभव नहीं है। बरसों से अवैध कोल डिपो प्रदूषण फैला रहे हैं और MPCB हाथ पर हाथ धरे बैठा है। केवल नोटिस थमाने का खेल, महज एक दिखावा बन गया है। परदे के पीछे मलाई का लूट तंत्र MPCB पर इतना हावी हो चुका है कि अवैध कोयला व्यापारियों के साथ इनकी सांठगाठ अब किसी से छिपी नहीं है। जब हमारे प्रतिधिनि ने MPCB के अफसरों से अवैध कोल डिपो के प्रदूषण फैलाने पर रोक न लगा पाने के कारणों को लेकर जब सवाल पूछा तो अधिकारियों ने तुगलकी जवाब दिया। यदि कोई शिकायत करेगा तो ही अवैध कोल डिपो के खिलाफ कार्रवाई वे कर पाएंगे। MPCB प्रशासन की इस अजीबोगरीब दलिलें सुनकर कोई भी इंसान आश्चर्यचकित हो सकता है। लेकिन इस खेल के पीछे कोयले की काली कमाई में कमिशनखोरी की बू आती है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए चंद्रपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी, चंद्रपुर के शहर जिलाध्यक्ष रितेश तिवारी ने MPCB चंद्रपुर और यहां के RO के खिलाफ मुंबई मंत्रालय तक शिकायत कर दी है। MPCB के घटिया कामकाज को लेकर उच्च स्तर से जांच होने की उम्मीद जताई जा रही है।

ज्ञात हो कि चंद्रपुर में स्थित महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के कार्यालय में लापरवाह पूर्ण कामकाज की अब पराकाष्ठा हो चुकी है। यहां की कुर्सियां तोड़ने वाले अफसरों को अब न तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कोई खौफ रहा और न ही मंत्रालय के उच्च स्तरीय अधिकारियों का इन पर कोई दबाव नजर आता है। मनमानी कामकाज और मलाई लूटने की इनकी नीतियों के चलते बरसों से चंद्रपुर वासी जहरिला प्रदूषण झेलने के लिए मजबूर हो गये हैं। इस विभाग से सीधा संबंध आम नागरिकों का नहीं आता, यही वजह है कि इस विभाग के खिलाफ कोई खुलकर आवाज नहीं उठा पाता। लेकिन धीरे-धीरे जनता अब इस विभाग के पाप का खामियाजा भुगतते हुए समझदार बन चुकी है। MPCB के अफसरों की मिलीभगत, भ्रष्टाचार, मलाई खाने की बुरी लत, अवैध उद्योगों के साथ सांठगाठ, कार्यालय में सक्रिय दलालों के माध्यम से उद्योगों को ठगने की नीतियां जनता को समझ आने लगी है। फर्जी शिकायतों के बल पर प्रदूषण की कार्रवाई महज एक खानापूर्ति बनकर रह जाती है। इन सभी तथ्यों को देखते हुए कांग्रेस ने इस प्रकरण को अब गंभीरता से लिया है। चंद्रपुर को प्रदूषण के दंश से बचाने के लिए चंद्रपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी, चंद्रपुर के शहर जिलाध्यक्ष रितेश तिवारी ने अब चंद्रपुर MPCB और यहां के RO के खिलाफ ही मंत्रालय तक शिकायत कर दी है। इसके चलते संबंधित विभाग और जिला प्रशासन में खलबली मच गई है।

अवैध कोल डिपो पर कब होगी कार्रवाई ?

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (MPCB) के चंद्रपुर कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि जब तक उन्हें अवैध कोल डिपो के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिलती, वे कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। इसका मतलब साफ है कि विभाग खुद से प्रदूषण फैलाने वाले इन डिपो पर कोई कदम नहीं उठाना चाहता।

अवैध कोल डिपो से किसको मिल रही मलाई ?

सवाल यह उठता है कि आखिर कौन इन अवैध कोल डिपो का संरक्षक बना हुआ है? किसके आशीर्वाद से ये काले कारोबार का अड्डा बन गए हैं, जो वर्षों से धड़ल्ले से चल रहे हैं और हवा में कोयला उड़ाकर गंभीर प्रदूषण फैला रहे हैं ? महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (MPCB) के चंद्रपुर कार्यालय के अधिकारियों की सहमति, सांठगाठ, मिलीभगत के बिना यह सब संभव नहीं है। यदि ऐसा है तो जरूर इस अवैध काले कारोबार में किसी न किसी अफसर के हाथ काले हो रहे हैं। इसी काले कारोबार से कोई अफसर तगड़ी मलाई खा रहा है। यदि उचित जांच हुई तो मलाई खाने वाले अफसर की पोल खुल सकती है।

जवाब देने से क्यों बच रहा चंद्रपुर MPCB ? 

बीते पखवाड़े ‘चंद्रपुर की बुलंद आवाज़’ के प्रतिनिधि ने MPCB के क्षेत्रीय अधिकारी तानाजी यादव से फोन पर बात कर पड़ोली इलाके में चल रहे अवैध कोल डिपो पर कार्रवाई को लेकर सवाल पूछे। यादव ने फोन पर कुछ भी कहने से मना कर दिया और कहा कि अगर सवाल पूछना है तो दफ्तर आकर मिलें। जब प्रतिनिधि कार्यालय पहुंचे और यादव से मुलाकात की तो उन्होंने भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है और उन्हें अपने कनिष्ठ अधिकारी से बात करने के लिए कहा। जब प्रतिनिधि ने संबंधित अधिकारी से मुलाकात की, तो उनके जवाब और भी हैरान करने वाले थे। उन्होंने बताया कि विभाग के रिकॉर्ड में 26 कोल डिपो दर्ज हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि इनमें से कितने वैध हैं और कितने अवैध। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ डिपो को पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के चलते क्लोजर और प्रॉसिक्यूशन नोटिस दिए गए थे। जब विभाग ने सर्वे किया तो सभी 26 डिपो बंद पाए गए। लेकिन इसके बाद कितने डिपो फिर से चालू हुए और कितनों पर कार्रवाई हुई, इसका कोई रिकॉर्ड उनके पास नहीं है। अब विभाग केवल उसी स्थिति में कार्रवाई करेगा जब कोई शिकायत करेगा।

वर्षों से लंबित मामला, नियमों का खुला उल्लंघन

पड़ोली के इन कोल डिपो को पहले वणी क्षेत्र में स्थानांतरित करने की योजना थी, लेकिन मामला कहां अटक गया, इसका किसी को अंदाज़ा नहीं है। जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के नियम कोल डिपो के संचालन को लेकर काफी सख्त हैं, परंतु उनके अधिकांश नियमों का यहां पालन नहीं किया जाता। इन अवैध डिपो में खुलेआम भारी मशीनों से कोयले की छंटनी की जाती है, जिससे धूल का गुबार हवा में फैलता है और गंभीर वायु प्रदूषण होता है। इसके बावजूद MPCB मूकदर्शक बना बैठा है और केवल शिकायत का इंतजार कर रहा है, यह चौंकाने वाली बात है।

प्रशासन की चुप्पी ही मिलीभगत का संकेत

पड़ोली और नगाला इलाके में वर्षों से चल रहे अवैध कोल डिपो फिर एक बार चर्चा में हैं। प्रशासनिक प्रतिबंधों और अवैध घोषित किए जाने के बावजूद, यह काला कारोबार बदस्तूर जारी है। इससे न केवल पर्यावरण दूषित हो रहा है, बल्कि चंद्रपुर जिले की हवा भी लगातार जहरीली होती जा रही है। स्थानीय नागरिक अब सवाल कर रहे हैं कि आखिर MPCB इन अवैध डिपो को रोकने में विफल क्यों है? क्या इसके पीछे कोल माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत है?

MPCB की कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता और दिखावा

MPCB ने समय-समय पर इन डिपो पर छापे मारे, रिपोर्टें तैयार कीं और मंत्रालय को भेजीं। लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आज भी भारी वाहन धूल उड़ाते हुए दिनदहाड़े कोयले की छंटनी कर रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। जब तक प्रशासन ठोस इरादों के साथ काम नहीं करेगा और केवल औपचारिक कार्रवाई करता रहेगा, तब तक यह अवैध कारोबार और प्रदूषण यूं ही जारी रहेगा। अब ज़रूरत है सख्त कदम उठाने की, बिना किसी शिकायत का इंतजार किए।

NGT के नियमों की खुली अनदेखी

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के नियमों के अनुसार जिले में कहीं भी कोल डिपो को अनुमति नहीं दी जा सकती। फिर भी चंद्रपुर, पड़ोली और नगाला क्षेत्रों में दर्जनों कोल डिपो खुलेआम चालू हैं। यह सवाल उठता है कि आख़िर कौन इन अवैध गतिविधियों को संरक्षण दे रहा है?

प्रदूषित चंद्रपुर पर जनप्रतिनिधियों का नहीं ध्यान

चंद्रपुर को पहले ही देश के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जा चुका है। ऐसे में प्रदूषण के प्रति प्रशासन और संबंधित विभागों की लापरवाही बेहद चिंताजनक है। अगर समय रहते इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला आने वाले समय में एक बड़ा जन आंदोलन बन सकता है। स्थानीय नागरिक अब इस मुद्दे को लेकर संगठित हो रहे हैं। यदि जल्द ही कोल डिपो पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो MPCB कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधि और सत्ता के शिर्ष पर बैठे नेताओं की ओर से चंद्रपुर के प्रदूषण की ओर घोर अनदेखी कर रहे है। इसके चलते जनता के बीच नेताओं की छवि भी खराब हो रही है।

कोयले की काली कमाई और मलाई ही मलाई

चंद्रपुर के ये अवैध कोल डिपो सिर्फ नियमों की अवहेलना नहीं कर रहे, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और कानून व्यवस्था को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं। अब समय आ गया है कि प्रशासन सिर्फ दिखावटी कार्रवाइयों से आगे बढ़े और ईमानदारी व पारदर्शिता के साथ ठोस कदम उठाए। इन कोल डिपो में पे-लोडर जैसी भारी मशीनों का उपयोग कर दिन-दहाड़े कोयले की छंटनी की जाती है। इससे हवा में कोयले की धूल उड़ती है, जो सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। इसके बावजूद MPCB के क्षेत्रीय अधिकारी तानाजी यादव अब तक इन अवैध डिपो के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं। अब आम लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन अवैध गतिविधियों को किसी की शह प्राप्त है? क्या कोयले की इस काली कमाई में कोई मलाई खा रहा है? ये सवाल अब जनता की ओर से खुले तौर पर पूछे जा रहे हैं।

कब तक चलता रहेगा ‘धूल का खेल’ ?

जब तक प्रशासन और संबंधित विभाग जनभावनाओं को समझते हुए कठोर कदम नहीं उठाते, तब तक यह अवैध कारोबार और “धूल का खेल” चलता ही रहेगा। अब जनता की सहनशीलता जवाब देने लगी है, और जल्द ही यह आवाज़ आंदोलन का रूप ले सकती है।

MPCB और RO के खिलाफ मंत्रालय पहुंची चंद्रपुर कांग्रेस

चंद्रपुर में स्थित महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के कार्यालय में लापरवाह पूर्ण कामकाज की अब पराकाष्ठा हो चुकी है। यहां की कुर्सियां तोड़ने वाले अफसरों को अब न तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कोई खौफ रहा और न ही मंत्रालय के उच्च स्तरीय अधिकारियों का इन पर कोई दबाव नजर आता है। मनमानी कामकाज और मलाई लूटने की इनकी नीतियों के चलते बरसों से चंद्रपुर वासी जहरिला प्रदूषण झेलने के लिए मजबूर हो गये हैं। इस विभाग से सीधा संबंध आम नागरिकों का नहीं आता, यही वजह है कि इस विभाग के खिलाफ कोई खुलकर आवाज नहीं उठा पाता। लेकिन धीरे-धीरे जनता अब इस विभाग के पाप का खामियाजा भुगतते हुए समझदार बन चुकी है। MPCB के अफसरों की मिलीभगत, भ्रष्टाचार, मलाई खाने की बुरी लत, अवैध उद्योगों के साथ सांठगाठ, कार्यालय में सक्रिय दलालों के माध्यम से उद्योगों को ठगने की नीतियां जनता को समझ आने लगी है। फर्जी शिकायतों के बल पर प्रदूषण की कार्रवाई महज एक खानापूर्ति बनकर रह जाती है। इन सभी तथ्यों को देखते हुए कांग्रेस ने इस प्रकरण को अब गंभीरता से लिया है। चंद्रपुर को प्रदूषण के दंश से बचाने के लिए चंद्रपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी, चंद्रपुर के शहर जिलाध्यक्ष रितेश तिवारी ने अब चंद्रपुर MPCB और यहां के RO के खिलाफ ही मंत्रालय तक शिकायत कर दी है। इसके चलते संबंधित विभाग और जिला प्रशासन में खलबली मच गई है।