- विनय गौडा और विपीन पालीवाल पर चढ़ गया भगवा रंग
- धर्म-निरपेक्षता के कर्तव्यों का खुलेआम कर रहे उल्लंघन
चंद्रपुर :
भारतीय जनता पार्टी चंद्रपुर की ओर से आयोजित एक विशेष कार्यक्रम ‘मुझे चढ गया भगवा रंग… ’ में खुलेआम जिलाधिकारी विनय गौडा और मनपा आयुक्त विपीन पालीवाल मंच पर सक्रिय होकर अपने भारतीय संविधान के धर्म निरपेक्षता से संबंधित कर्तव्यों की खुलकर धज्जियां उड़ाते हुए नजर आये। उल्लेखनीय है कि विनय गौडा और विपीन पालीवाल भूल गये कि वे धर्म निरपेक्ष भारत के प्रशासनिक अफसर हैं। जहां देश के सभी IAS, IPS, IRS आदि अधिकारियों को उनके Central Civil Services Conduct Rules, 1964 अर्थात अधिकारियों के आचरण के लिए बना केंद्रीय सिविल सेवा आचरण नियम का पाठ पढ़ाया जाता है। जिसमें तमाम अफसरों को धर्म-निरपेक्ष व्यवहार के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश दिए गए हैं। Rule 5(1) में किसी भी सरकारी कर्मचारी को ऐसे किसी कार्य में लिप्त नहीं होना चाहिए जिससे यह प्रतीत हो कि वह किसी विशेष धर्म, जाति या संप्रदाय के पक्ष में या विरोध में है। वहीं Rule 3(1) में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी को ईमानदारी, निष्पक्षता और धर्मनिरपेक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। लेकिन भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘मुझे चढ गया भगवा रंग… ’ के मंच पर कलेक्टर विनय गौडा और मनपा आयुक्त विपीन पालीवाल ने अपनी हदों को पार कर दिया। अन्य धर्मों के आयोजनों में इन अफसरों को इस तरह सक्रिय नहीं देखा जाना, इनकी धर्म निरपेक्ष कार्यप्रणाली पर अनेक सवाल खड़े कर देता है।
भारतीय जनता पार्टी चंद्रपुर विधानसभा एवं श्री महाकाली माता महोत्सव ट्रस्ट की ओर से चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर भव्य श्री महाकाली माता यात्रा आयोजित की गई। इस दौरान “मुझे चढ गया भगवा रंग…” इस लोकप्रिय गीत की गायिका शहनाज अख्तर के लाईव कॉन्सर्ट का आयोजन शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025 को शाम 6 बजे माता महाकाली मंदिर परिसर में किया गया। इस राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन से प्रशासन के आला अफसरों को एक तय दूरी बनाकर रखनी चाहिये थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि भाजपा के अलावा अन्य दल अगर कोई राजनीतिक व धार्मिक आयोजन करेगा तो क्या यही अफसर दूसरे दलों के अन्य धर्म के आयोजनों में दोबारा सक्रियता से शामिल होंगे ?
भारत में प्रशासनिक अफसरों जैसे कि IAS, IPS, IRS आदि के लिए धर्म निरपेक्षता का पालन एक संवैधानिक और नैतिक दायित्व है। धर्म निरपेक्षता भारतीय संविधान का मूल स्तंभ है, और इसके पालन के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के लिए कई प्रावधान और मार्गदर्शक सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं।
भारतीय संविधान में धर्म निरपेक्षता का उल्लंघन
संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 में नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि राज्य को किसी विशेष धर्म को बढ़ावा न देने की बात कहते हैं। परंतु हैरत की बात है कि चंद्रपुर के जिलाधिकारी और मनपा आयुक्त तो किसी एक धर्म को बढ़ावा देने जैसी हरकतें करने लगे हैं।
लोक सेवा की नैतिकता
भारतीय प्रशासनिक प्रणाली में “राजधर्म” की अवधारणा को महत्व दिया गया है, जिसमें सभी नागरिकों को समान रूप से और बिना किसी भेदभाव के सेवा देना अनिवार्य है। प्रशासनिक अधिकारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव न करे। नीतिगत निर्णयों में धार्मिक विचारों को शामिल न करे। सार्वजनिक पद पर रहते हुए किसी धार्मिक गतिविधि में पक्षपातपूर्ण भागीदारी न करे। लेकिन कलेक्टर और मनपा आयुक्त को धार्मिक आयोजनों में भागीदार होते हुए देखा जा रहा है। भारत के उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि धर्मनिरपेक्षता संविधान का मूल ढांचा है और यह सभी सार्वजनिक अधिकारियों पर बाध्यकारी है।
अनुशासनात्मक कार्यवाही
अगर कोई अधिकारी धर्म आधारित भेदभाव करता है, तो उसके खिलाफ विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें निलंबन, सेवा से बर्खास्तगी या अन्य दंड शामिल हो सकते हैं। ऐसे अनेक मामले हैं जहां अधिकारियों को इस सिद्धांत के उल्लंघन पर दंडित किया गया है। अब क्या जिलाधिकारी विनय गौडा और मनपा आयुक्त विपीन पालीवाल को किसी एक विशेष धर्म के आयोजनों में मंच पर सक्रियता से शामिल होने के मामले को लेकर कोई शिकायत और जांच होगी ? क्या कोई सजग नागरिक इस तरह की हरकतों को लेकर आपत्ति उठाएगा ? क्या इस प्रकरण की भी जांच होगी ?