Kingmaker of CSTPS: Control over creamy contractors, CE sacrificed in case of irregularities
चंद्रपुर:
CSTPS में घटिया कोयले की आपूर्ति, गुणवत्ता में गिरावट, ठेकेदारों और व्यापारियों के साथ साठगांठ, कमिशनखोरी यह बात तो किसी से छिपी नहीं है। जिन्हें हम आज CSTPS के KingMaker समझ रहे हैं, वे असल में KingMaker है भी। लेकिन जैसे ही सीएसटीपीएस की कोई यूनिट ठप हो जाती है। करोड़ों का नुकसान हो जाता है, तो यहां के मुख्य अभियंता की बलि चढ़ जाती है। और असली KingMaker बचकर निकल जाते हैं। यहां के 2 KingMaker को जानना और उनकी कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच करवाना अब बेहद जरूरी हो गया है। वरना सीएसटीपीएस के यूनिट ऐसे ही बंद पड़ते रहेंगे और चाइना के एक्सपर्ट बुलाने के बावजूद यहां की गड़बड़ी दूर नहीं हो पाएगी। सरकार के करोड़ों के नुकसान को बचाने के लिए प्रशासन के अंदर बैठे गड़बड़ी वाले कलपूर्जों को इन यूनिट के बॉयलर से कोसों दूर करना ही होगा। आज हम जानेंगे कि CSTPS के KingMaker भूषण शिंदे और दिलीप वंजारी के महान कार्यों से कैसे यहां के यूनिट फल-फूल रहे हैं ? उपअभियंता और वेल्फेयर अधिकारी मिलकर कैसे मुख्य अभियंता विजय राठौड़ पर नियंत्रण पाकर समूचे बिजली केंद्र में करंट दौड़ा रहे हैं ?
क्या खेल चल रहा है CSTPS में ?
CSTPS में बरसों से घटिया कोयले की आपूर्ति की जा रही है। कोयले की गुणवत्ता की जांच करने वालों की ठेकेदारों और व्यापारियों के साथ साठगांठ है। इसके चलते घटिया कोयला CSTPS के यूनिट के बॉयलर तक पहुंच जाता है और बिजली निर्माण की क्षमता घट जाती है। इसके कारण नये-नवेले यूनिट भी बंद पड़ने लगते हैं। इनमें गड़बड़ियां आ जाती है। स्थानीय अभियंताओं की एक्सपर्ट टीम भी इन गड़बड़ियों को दूर नहीं कर पाती। विशाखापट्टनम से एक्सपर्ट बुलाने पड़ते हैं। तब भी बात नहीं बनती। तो चाइना के एक्सपर्ट को बुलाने का नियोजन करना पड़ता है। सरकार इससे तंग आकर मुख्य अभियंता का तबादला कर देती है। लेकिन हालात नहीं बदलते। जांच कमेटी बैठती है। परंतु करोड़ों के मलाई का खेल जांच कमेटी के मुंह में मलाई भरकर असली दोषियों अर्थात मलाईदार KingMaker को बचा लेती है। लेकिन पब्लिक तो सब जानती है।
अफसर शिंदे और वंजारी का रोल क्या है ?
पिछली बार जब नये-नवेले यूनिट 8 और 9 में खराबी आयी तो सरकार ने पूर्व मुख्य अभियंता गिरिश कुम्मरवार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका तबादला कर दिया। परंतु असली दोषी को कभी खोजा ही नहीं गया। असल में CSTPS के KingMaker अर्थात उप मुख्य अभियंता भूषण शिंदे और वेल्फेयर ऑफिसर दिलीप वंजारी को ही माना जाता है। यदि किसी ठेकेदार को अपना काम करवाना हो तो वे मुख्य अभियंता के पास जाने के बजाय सीधे इन 2 अफसरों के पास पहुंच जाते हैं। तय से कम लेबर लगाकर अधिक वेतन निकलवाना हो तो यही अफसर ठेकेदारों को कल्याणकारी मार्ग दिखा सकते हैं। अधिक दर पर ठेके कैसे पाएं जा सकते हैं, इसका मार्गदर्शन भी इन अफसरों के पास उपलब्ध है। पूरे CSTPS को यदि कहीं भी चूना पोतना हो तो इनसे संपर्क किये बिना काम नहीं बन सकता। यूं कहे तो इनका पूरे CSTPS पर जबरदस्त नियंत्रण हैं। इस नियंत्रण को तोड़ पाने में मुख्य अभियंता विजय राठौड बुरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। अब राठौड़ साहब को मुख्य अभियंता कहे या इन KingMaker को सलाम ठोंके, इस तरह की तमाम चर्चा अब न केवल ठेकेदारों में हो रही है बल्कि आम जनता भी इन्हीं 2 अफसरों को CSTPS का देवता मानने लगी है। यूनिट बंद होने की उच्च स्तरीय जांच करने वाली कमेटी बॉयलर और कंट्रोल यूनिट में जाकर जांच करने के बजाय प्रशासन के भितर के भ्रष्ट तंत्र की यदि जांच करेंगे तो अरबों रुपयों के यूनिट बंद होने की नौबत नहीं आएगी। आयकर विभाग की ओर से भी भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति की जांच करवाना बेहद जरूरी बन गया है।