– क्या यह सीबीआई, डीजीएमएस, विजिलेंस की विफलता नहीं?
खदान आंसू बहा रही है, अधिकारी पैसे बटोर रहे हैं
चंद्रपुर : वेकोलि वणी नार्थ एरिया तथा भालर क्षेत्रीय प्रबंधक अंतर्गत वणी राजूर क्षेत्र की भांदेवाडा भूमिगत कोयला खदान संबंधित अधिकारियों की लापरवाही, निष्िक्रयता, गैरजिम्मेदाराना प्रवृत्ति, फर्ज के प्रति बेईमानी, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के चलते तीन दशकों बाद आज बंद होने की कगार पर आ खड़ी है| स्थिति इतनी खराब हुई है कि वो आज या कल में कभी भी बंद हो सकती है| ऐसे में सवाल यह उठता है कि भांदेवाडा युजीसी की इतनी बदहाली क्यों और कैसे हुई तथा उसके इस जर्जर व खस्ताहाल स्थिति में पहुंचने तक सीबीआई और विजिलेंस विभाग क्या कर रहा था? क्या वो सो रहा था या फिर इस मामले में अंधे – गूंगे – बहरों की भूमिका अदा कर रहा था? शायद कुछ ऐसा ही है| वर्ना संबंधित कोल अधिकारियों के बेजा बर्ताव, मजदूरों का शोषण, कोल चोरों – तस्करों से मिलीभगत, कोल माफिया से सांठगांठ तथा कोयला हेराफेरी में दखल आदि के बारे में परिक्षेत्र के लोगों द्वारा बार बार शिकायतें किये जाने के बाद वो कुछ तो कार्रवाई करती? लेकिन उन्होंने इस ओर पूरी तरह से आंखें मूंद ली| इसी वजह से आज यह आरोप लगाया जा रहा है कि भांदेवाडा भूमिगत कोयला खदान की दुर्दशा के लिए कुछ हद तक यह विभाग भी जिम्मेदार है| अगर वे समय रहते जागते, प्राप्त शिकायतों पर गंभीरता के साथ गौर करते, सक्रियता के साथ कार्रवाई करते तथा आवश्यक कानूनी कदम उठाते तो भांदेवाडा भूमिगत कोयला खदान की आज के जैसी दुरावस्था नहीं होती| न खदान में अफरातफरी का माहौल बनता न अव्यवस्था का मंजर होता, न कोयला उत्पादन प्रभावित होता और न ही खदान पर बंद होने की नौबत आती| सवाल है कि सीबीआई व विजिलेंस (सतर्कता विभाग) ने इस हद तक अनदेखी क्यों की? क्या खदान प्रबंधन और सीबीआई – विजिलेंस में कोई समझौता हुआ है? डीजीएमएस की भूमिका क्या है?
उत्पादन प्रभावित : अधिकारियों की तमाम कोताही, कामचोरी, उदासीनता व अकर्मण्यता के चलते भांदेवाडा भूमिगत कोयला खदान का कोयला उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होकर 60 से 70 टन तक पहुंच गया है और समय रहते ठोस इंतजाम व इलाज नहीं किया गया तो शीघ्र ही शून्य तक पहुंच जायेगा| लेकिन चिंता किसी को नहीं है| सेफ्टी अफसर, प्रोडक्शन मैनेजर, ओवरमैन आदि गंभीर विवादों के बावजूद कई सालों से वहीं पर टिके हुए हैं| उनकी बदली नहीं हो रही है| क्यों? क्या लेन देन के जरिए वे अपना तबादला टाल देते हैं? यहां के अफसरों पर मजदूरों के आर्थिक शोषण और धांधली का आरोप है| सूरज शाहू, राजेश शाहू, संजीव सामेल आदि के नाम इसमें आगे चल रहे हैं| खदान के 180 मजदूर आर्थिक शोषण के शिकार है| उन्हें लूटा जा रहा है| बगैर ड्यूटी हाजरी लगाने के बदले में पैसे लिये जा रहे हैं|दलालों, एजंटों, चोरों, तस्करों, माफियाओं एवं हेराफेरी करने वालों काे लाभ पहुंचाने के मामले में आर्थिक लेन देन हो रहा है| कमीशन वसूला जा रहा है| मिलन होटल में खाने पीने की पार्टियां उडाई जा रही है| ऐसे से वेकोलि को घाटा, खदान की तबाही,मजदूरों की बर्बादी और अधिकारियों की आबादी होगी नहीं तो और क्या होगा? उत्पादन लक्ष्य पूरा न होना, खदान का खर्च बढ़ना, अधिकारियों की रिश्वतखोरी उफान पर होना तथा खदान में भारी अनियमितताओं का होना ऐसी बेहद गंभीर बाते हैं जिसके चलते कोल इंडिया लिमिटेड व वेकोलि प्रशासन को न चाहते हुए भी भांदेवाडा भूमिगत कोयला खदान को बंद करने का निर्णय लेना पडेगा? क्या यह डीजीएमएस व विलिंजेस की विफलता नहीं है?
राजूर उपक्षेत्र की बीमारी
- वेकोलि वणी नार्थ एरिया (उत्तर क्षेत्र) कोल अधिकारियों की उलजलूल हरकतों, संदिग्ध गतिविधियों, विवादास्पद निर्णयों – फैसलों, कोल माफिया व कोयला चोरों तस्करों के साथ संबंधों के कारण हमेशा ही चर्चा में रहा है| कुंभारखनी भूमिगत कोयला खदान, कोलारपिपरी कोयला खदान, आदि में तो सीबीआई व सतर्कता विभाग द्वारा विगत दिनों की गई छापामारी और पकड़ा गया स्टाॅक में कमी का सनसनीखेज घपला काफी चर्चित रहा है|
- कोयला चोरी, तस्करी व हेराफेरी के लिए इस क्षेत्र की अधिकांश कोयला खदाने जानी और पहचानी जाती है| सिर्फ भूमिगत (यूजी) ही नहीं बल्करि ओपनकास्ट कोयला खदाने भी इसकी शिकार है| स्टाॅक में कमी, ओवरलोडिंग, अवैध परिवहन, प्रति ट्रक वसुली, कोयला स्टाॅक यार्ड में घपला और आपाघापी यह तो उत्तर क्षेत्र की शानो आब बन चुकी है|
- कुंभारखनी और कोलारपिपरी के वक्त भी थी और आज भांदेवाडा यूजी के वक्त भी है| इसके लिए केवल खदान प्रबंधक ही जिम्मेदार होता है ऐसा नहीं बल्कि वसूली में अपनी सम्मानित भागीदारी रखने वाले क्षेत्रीय प्रबंधक, उपक्षेत्रीय प्रबंधक, महाप्रबंधक आदि सभी जिम्मेदार होते हैं| लेकिन सर्वेयर आदि छोटे कर्मचारियों को ही आज तक निशाना बनाया जाते रहा है| असली मगरमच्छ बचते रहे हैं, बचाये जाते रहे हैं और मामले के असली मास्टरमाईंड बाइज्जत सेफ बच कर निकलते रहे हैं| आज तक ऐसा ही होते आया है और भांदेवाडा मामले में भी ऐसा ही होगा|