शिंदे और फड़णवीस के बिगड़े रिश्ते, दो पालकमंत्रियोंं की नियुक्ति हुई रद्द!, शिंदे के ‘वो’ 3 फैसले, जिन्हें फड़णवीस ने पलट दिया

29

 

मुंबई: महागठबंधन सरकार को सत्ता में आए दो महीने हो गए हैं। महायुति ने विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल की। सरकार गठन से शुरू हुआ नाराजगी का खेल अब पालकमंत्री आवंटन तक पहुंच गया है। सरकार ने रायगढ़ और नासिक के पालक मंत्रियों की नियुक्ति स्थगित कर दी है।

गिरीश महाजन को नासिक का पालक मंत्री और अदिति तटकरे को रायगढ़ का पालक मंत्री नियुक्त किया गया। लेकिन इन दोनों नियुक्तियों का जमकर विरोध हुआ। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को फोन कर अपनी आपत्ति दर्ज करायी, उस वक्त मुख्यमंत्री दावोस में थे, विदेश में मौजूद फड़णवीस ने वहां से दो पालक मंत्रियों की नियुक्ति रद्द कर दी है।

मुख्यमंत्री जहां विदेश दौरे पर थे, वहीं उपमुख्यमंत्री शिंदे अपने गृहनगर चले गये। चर्चा थी कि वह इसी वजह से परेशान थे। शिवसेना फिलहाल पालकमंत्री पद से नाखुश है। लेकिन शिवसेना की नाराजगी के और भी कारण हैं। फड़णवीस के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से पिछली सरकार के 3 फैसले बदले गए हैं। इसीलिए शिंदे और शिवसेना नाखुश हैं। इसके अलावा बीजेपी की एनसीपी से बढ़ती नजदीकियां भी शिवसेना को परेशान कर रही हैं।

दीपक केसरकर, जो शिंदे सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री थे, जब वह मुख्यमंत्री थे, ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को वर्दी की आपूर्ति के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी स्थापित करने का निर्णय लिया। जैसे ही फड़नवीस मुख्यमंत्री बने, उन्होंने पुराना फैसला पलट दिया और यूनिफॉर्म खरीदने का अधिकार स्कूल प्रबंधन समिति को दे दिया।

फड़णवीस ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के लिए 1,310 बसें पट्टे पर देने के शिंदे के फैसले को भी पलट दिया। इसके साथ ही फड़नवीस ने कहा था कि 900 एंबुलेंस खरीदने के शिंदे सरकार के फैसले को भी बदला जाएगा। शिवसेना नेताओं का मानना है कि ये सभी बदलाव एकतरफा किए गए हैं। शिवसेना नेताओं का मानना है कि पिछली सरकार के फैसले बिना किसी चर्चा के बदले जाने से जनता में गलत संदेश गया है।

फड़णवीस 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहे। तब उनके और शिंदे के बीच मधुर संबंध थे। 2014 में शिवसेना जिसने अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा और नतीजों के बाद विपक्ष में रही, फिर कुछ महीनों के भीतर सत्ता में आने का फैसला किया। जिसमें शिंदे ही उद्धव ठाकरे से सत्ता में आने का आग्रह करने में सबसे आगे थे, उस दौरान दोनों के बीच रिश्ते अच्छे थे। लेकिन 2022 में शिंदे मुख्यमंत्री बन गये, वह सर्वोच्च पद का प्रयोग करने लगा। इसके बाद दोनों के रिश्ते में गिरावट आनी शुरू हो गई। अब शिंदे की जगह अजित पवार ने ले ली है, अजित पवार और देवेन्द्र फड़णवीस की ट्यूनिंग हमेशा चर्चा का विषय रही है।