सरकारी राशन दुकानों में 9 माह से गरीबों की शक्कर गायब !

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चंद्रपुर:

सरकारी स्वस्त राशन दुकानों के माध्यम से अंत्योदय राशन कार्डधारकों को हर महीने 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से शक्कर उपलब्ध कराई जाती थी। लेकिन पिछले 9 महीनों से राशन पर शक्कर का वितरण पूरी तरह से बंद है। इस वजह से गरीब परिवार बाजार से महंगी चीनी खरीदने या फिर मीठे खाद्य पदार्थों को अपनी थाली से बाहर करने को मजबूर हो गये हैं। बीते 9 माह से अंत्योदय के लाभार्थी बाजार की महंगी शक्कर खरीदने पर मजबूर है, इसके बावजूद जिले के जनप्रतिनिधियों की ओर से इन गरीब नागरिकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में रोष पनप रहा है।

शक्कर वितरण की बदलती व्यवस्था 

कुछ साल पहले तक सभी राशन कार्डधारकों को शक्कर दी जाती थी।

– पिछले 10 वर्षों से केवल अंत्योदय योजना के लाभार्थियों को शक्कर दी जा रही है।

– बीते चार सालों से वितरण में लगातार अनियमितता देखी जा रही है।

– कई बार चार-पांच महीने तक चीनी नहीं मिलती, लेकिन इस बार नौ महीने हो गए हैं और अब तक कोई समाधान नहीं हुआ।

गरीबों की मुश्किलें बढ़ीं

– राशन की चीनी न मिलने से गरीब परिवारों को बाजार से 80-90 रुपये प्रति किलो की दर से महंगी चीनी खरीदनी पड़ रही है।

– कुछ परिवारों ने मिठाई और अन्य मीठे खाद्य पदार्थ बनाना ही बंद कर दिया है।

सभी राशनधारकों को शक्कर देने की मांग

वर्तमान में चीनी केवल अंत्योदय योजना के तहत ही वितरित की जाती है।

– अब मांग की जा रही है कि अंत्योदय के साथ अन्य प्राथमिकता वाले परिवारों को भी चीनी वितरण में शामिल किया जाए।

निविदा प्रक्रिया बनी अड़चन

सरकारी राशन दुकानों में चीनी आपूर्ति के लिए सरकार निविदा प्रक्रिया के माध्यम से चीनी खरीदती है।

– इस वर्ष लोकसभा और विधानसभा चुनावों की आचार संहिता के चलते यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।

– इसके कारण चीनी वितरण ठप है और लाभार्थियों को लंबे समय से इंतजार करना पड़ रहा है।

प्रशासन का बयान 

प्रशासन का कहना है कि जैसे ही चीनी का आपूर्ति आदेश प्राप्त होगा, राशन दुकानों में वितरण शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन चीनी की आपूर्ति की कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की गई है।

समस्या की गंभीरता और समाधान की दिशा

सरकारी योजनाओं के तहत राशन की चीनी बंद होने से गरीब वर्ग के सामने एक और आर्थिक बोझ खड़ा हो गया है। जहां बाजार की महंगी चीनी उनकी पहुंच से बाहर है, वहीं सरकारी प्रक्रियाओं में हो रही देरी उनकी परेशानी बढ़ा रही है।

क्या सरकार गरीबों की मिठास वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाएगी, या चीनी की ये कड़वाहट जारी रहेगी ?