वादाखिलाफी : लाडली बहन योजना में 2100 नहीं, मिल रहे सिर्फ 1500 रुपये !

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चंद्रपुर :

महाराष्ट्र में सत्ता में आने से पहले महायुती सरकार ने ‘लाडली बहन योजना’ के तहत महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देने का वादा किया था। यह वादा विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अलावा अनेक नेताओं ने मुंबई से लेकर चंद्रपुर तक की गलियों में किया था। लेकिन, सत्ता में आने के बाद महिलाओं के खातों में केवल 1,500 रुपये ही जमा किए जा रहे हैं, जिससे बहनों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

महिलाओं को मिला SMS :

जिले की लाभार्थी महिलाओं को उनके बैंक खातों में 1,500 रुपये जमा होने के संदेश मिलने शुरू हो गए हैं। मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया 1 जुलाई से शुरू की गई थी, जिसकी अंतिम तारीख पहले 15 जुलाई थी। इसे बाद में बढ़ाकर 31 अगस्त और फिर सितंबर के अंत तक कर दिया गया।

4 लाख से अधिक महिलाएं पात्र :

जिले में इस योजना के लिए चार लाख से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया और वे पात्र मानी गईं। जुलाई से लेकर सितंबर तक पात्र महिलाओं के बैंक खातों में पैसे जमा किए गए।

दो चरणों में पैसे जमा :

योजना के तहत जुलाई से नवंबर तक प्रत्येक महीने 1,500 रुपये के हिसाब से 7,500 रुपये जमा किए गए। अब दिसंबर माह का पैसा दो चरणों में दिया जा रहा है। पहले चरण में गुरुवार और शुक्रवार को कुछ महिलाओं के खातों में पैसे जमा हुए, जबकि अन्य महिलाओं को दूसरे चरण में राशि दी जाएगी।

राजनीतिक महत्व :

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में महायुती को प्रचंड बहुमत दिलाने में ‘लाडली बहन योजना’ की अहम भूमिका रही। हालांकि, वादे के अनुसार 2,100 रुपये की राशि नहीं मिलने से महिलाओं में नाराजगी देखी जा रही है।

महिलाओं की उम्मीदों पर असर :

महायुती सरकार के सत्ता में आने के बाद महिलाओं को उम्मीद थी कि पहले वादे के मुताबिक, 2,100 रुपये प्रति माह की राशि मिलेगी। लेकिन, केवल 1,500 रुपये ही मिलने से कई महिलाओं की उम्मीदें टूट गई हैं।

आगे का सवाल :

महिलाओं के बीच अब यह सवाल है कि सरकार अपने वादे को कब पूरा करेगी। क्या आने वाले महीनों में उन्हें 2,100 रुपये की राशि मिलेगी, या यह योजना महज चुनावी प्रचार का एक वादा बनकर रह जाएगी?

अंतिम बात

महिलाओं के लिए ‘लाडली बहन योजना’ एक अहम योजना है, लेकिन सरकार के वादे और हकीकत के बीच का यह अंतर महिलाओं के विश्वास को कमजोर कर सकता है।