एक मंत्री पद रिक्त, लेकिन चंद्रपुर के 5 में से किसी विधायक को नहीं दिया मौका
चंद्रपुर:
जिले की जनता ने भाजपा को 5 विधायक दिये। चंद्रपुर का गढ़ भाजपा ने जीत लिया, लेकिन विकास के सिंह के साथ अन्याय किया गया। इस बार महायुति के देवेंद्र फड़णवीस के नवगठित मंत्रिमंडल में चंद्रपुर जिले पर घोर अन्याय हुआ है। जिले से 7 बार जीतने वाले भाजपा के दिग्गज नेता सुधीर मुनगंटीवार को मंत्री नहीं बनाये जाने के कारण जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनता में काफी नाराजगी है। यहां जारी करोड़ों के प्रोजेक्ट एवं विकास कार्यों के लिए निधि लाने की नीति पर गहर दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है। वहीं सीएम फड़णवीस के 42 मंत्रिमंडल में चंद्रपुर जिले के 5 भाजपा विधायकों में से किसी एक विधायक को भी मंत्री नहीं बनाये जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। तय नियमों के अनुसार 43 मंत्री बनाने का प्रावधान है। एक मंत्री पद आज भी रिक्त है। इसके बावजूद सुधीर मुनगंटीवार पर अन्याय किया गया। और तो और फड़णवीस के करीबी समझे जाने वाले चिमूर के विधायक बंटी भांगडिया तक को मौका नहीं दिया गया। विधायक किशोर जोरगेवार, दूसरी बार विधायक बने। फड़णवीस ने 18 नये चेहरों को मौका दिया लेकिन जोरगेवार की भी उपेक्षा कर दी।
कद्दावर नेता की उपेक्षा
महाराष्ट्र में महायुती रेकॉर्ड तोड़ बहुमत से सत्ता में लौटी। 15 दिसंबर की शाम मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने अपने मंत्रिमंडल के लिए 33 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्रियों को चुना। नागपुर के राजभवन में राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने इन्हें मंत्री पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। एक मुख्यमंत्री व 2 उपमुख्यमंत्री के अलावा रविवार को कुल 39 मंत्री चुने जाने के बाद फड़णवीस सरकार में अब कुल 42 मंत्री हो गये हैं। सरकार में 43 मंत्री बनाने का प्रावधान है। एक मंत्री पद रिक्त रखा गया है। नवगठित मंत्रिमंडल में 18 नये चेहरों को मंत्री बनने का मौका दिया गया। जबकि अनेक वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल से दरकिनार कर दिया गया। खास बात यह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और 7 बार चंद्रपुर जिले से विधायक बने तथा प्रदेश के वित्त मंत्री रहे महाराष्ट्र में कद्दावर नेता सुधीर मुनगंटीवार को इस बार के मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया। इसके अलावा छगन भुजबल, दिलीप वलसे-पाटील जैसे वरिष्ठों की भी उपेक्षा की गई। मुनगंटीवार को दरकिनार किये जाने से भाजपा के असंख्य कार्यकर्ताओं एवं जिले की जनता में निराशा है।
चंद्रपुर जिले में भाजपा नेता व मंत्री पद पर रहते हुए सुधीर मुनगंटीवार ने बीते 6 विधायकी में उल्लेखनीय विकास कार्य किए हैं। मतदाताओं ने विकास को प्राथमिकता देते हुए सुधीर मुनगंटीवार को सातवीं बार विजयी बनाकर उनके नेतृत्व में फिर से विश्वास प्रकट किया है।
34 वर्ष बाद चंद्रपुर जिला रहेगा बगैर मंत्री पद के
वर्ष 1990 के बाद यह पहली बार है जब चंद्रपुर जिले को राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। यह जिला अब तक मुनगंटीवार के नेतृत्व में उनके प्रभावशाली कामों के लिए पहचाना जाता था। चाहे 50 करोड़ पेड़ लगाने की योजना हो या बाघों के पुनर्वास की परियोजना, मुनगंटीवार ने अपने काम से पहचान बनाई है। वह महाराष्ट्र के इकलौते ऐसे वित्त मंत्री रहे हैं जिन्होंने संतुलित और सरप्लस बजट पेश किया। 1995 में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सरकार में मुनगंटीवार को पहली बार सांस्कृतिक मामलों के मंत्री के रूप में जगह मिली थी। 2014 में उन्हें वित्त और वन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2022 में वे वन, सांस्कृतिक और मत्स्य विभाग के मंत्री रहे। साथ ही, वे चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री भी रहे।
भांगडिया और जोरगेवार भी उपेक्षित
सुधीर मुनगंटीवार की तरह चिमूर के विधायक कीर्तिकुमार भांगडिया, जो लगातार तीसरी बार चुने गए हैं, और किशोर जोरगेवार, जो दूसरी बार विधायक बने हैं, को भी मंत्री पद नहीं मिला। पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि युवा नेताओं में से किसी एक को मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन दोनों को मौका नहीं दिया गया।
पालकमंत्री का पद अब बाहरी जिले के नेता को
चंद्रपुर जिले का पालकमंत्री पिछले कई वर्षों से जिले के ही किसी नेता को बनाया जाता रहा है। लेकिन इस बार जिले को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण यह सवाल उठ रहा है कि पालकमंत्री कौन होगा ? अगर जिले के बाहर से किसी नेता को पालकमंत्री नियुक्त किया गया, तो इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी और बढ़ने की संभावना है। यह स्थिति चंद्रपुर में बीजेपी के लिए चुनौती बन सकती है, क्योंकि कार्यकर्ता इस फैसले को लेकर काफी असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। लेकिन इस नाराजगी को दूर करने के लिए चंद्रशेखर बावनकुले को पालकमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
आगामी चुनावों पर विपरीत असर
विदर्भ क्षेत्र को इस मंत्रिमंडल विस्तार में महत्व दिया गया है, खासकर नागपुर को, जो मुख्यमंत्री और अन्य प्रमुख मंत्रियों का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन वरिष्ठ नेताओं को मौका न मिलना, खासकर सुधीर मुनगंटीवार जैसे कद्दावर नेता को, कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष पैदा कर रहा है। अब देखना होगा कि यह निर्णय आगामी चुनावों में बीजेपी के लिए किस तरह के परिणाम लाता है।
विकास की गंगा अब कैसे बहेगी चंद्रपुर में ?
विकास पुरुष की छवि में समायें सुधीर मुनगंटीवार ने बीते वर्षों में कैबिनेट मंत्री रहते हुए महाराष्ट्र के कोने कोने का विकास हो, इस उद्देश्य से अनेक अथक प्रयास किये। खासकर चंद्रपुर जिले में अनगिनत करोड़ों के प्रोजेक्टस को साकार किया। आज भी अनेक विकास कार्य जारी है। अब जब वे मंत्री पद से दूर है तो सवाल यह उठता है कि उनके जितना प्रयास और करोड़ों की निधि दोबारा जिले की झोली में कैसे आ पाएगी ?
मुनगंटीवार ने साकार किये अनेक स्मर्णीय परियोजनाएं
मंत्री रहते सुधीर मुनगंटीवार ने महाराष्ट्र की चरमराई सरकारी अर्थव्यवस्था को न केवल संभाला, बल्कि उसमें वृद्धि की। वन मंत्री के रूप में उन्होंने पर्यावरण संतुलन के कार्य को बढ़ावा दिया जिसके चलते महाराष्ट्र पर्यावरण संतुलन के मामले में अग्रसर राज्य बना। महाराष्ट्र के वन क्षेत्र में हुए कार्य के कारण राज्य का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। चंद्रपुर जिले में विकास कार्यों को ऐसा बढावा दिया कि चंद्रपुर की पहचान अब ‘स्मार्ट जिले’ के रुप में है। प्राकृतिक संपदा, पौराणिक इतिहास, देश में बिजली निर्माण, महत्वपूर्ण केंद्र, अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल, देश में सर्वाधिक बाघों का जिला, ऐसी पहचान उन्होंने चंद्रपुर को उपलब्ध कराई है। 50 करोड़ पौधों के रोपण की योजना चलाकर राष्ट्रस्तर पर एक अलग कीर्तिमान स्थापित किया। चंद्रपुर में वन अकादमी का निर्माण कराया। देहरादून की आईएफएस अकादमी की तर्ज पर चंद्रपुर में अत्याधुनिक वन प्रशासन विकास एवं व्यवस्थापन प्रबोधिनी अर्थात वन अकादमी साकार हुई। जिले में अनेक स्थानों पर ईको-पार्क निर्माण कराये। सेना में प्रवेश लेने के लिए बच्चा-बच्चा प्रेरित हो, इस उद्देश्य से चंद्रपुर में सैनिक स्कूल की भव्य इमारत का निर्माण कराया। यह सैनिक स्कूल समूचे देश में एक अलग पहचान प्राप्त कर चुकी है। 122 एकड़ में फैली यह सैनिक स्कूल देश की अन्य सैनिक स्कूलों से अलग है। बाम्बू संशोधन एवं प्रशिक्षण केंद्र भी उन्हीं की देन है। चंद्रपुर और बल्लारपुर रेलवे स्टेशन का आकर्षक सौंदर्यींकरण भी उन्होंने कराया। साथ ही नये, आधुनिक व एयरपोर्ट की तरह आकर्षक बस स्टैंड बनवाये। ताड़ोबा व्याघ्र प्रकल्प को विश्व स्तर पर पहुंचाने में अथक प्रयास किये। 60 करोड़ रूपये की राशि देकर माता महाकाली मंदिर परिसर के विकास के लिए उनका योगदान अहम रहा। बॉटनिकल गार्डन से जिले को एक अलग ही पहचान दिलाई। लेकिन अब जिले की आगे की राह मुश्किल होगी क्योंकि फड़णवीस सरकार में चंद्रपुर जिले के लिए इतने विकास कार्य और करोड़ों की निधि लाने के लिए मंत्री पद का अभाव खलने वाला है।