चंद्रपुर में फसलों के नहीं, खाद के दाम हो गये डबल आसमान छू रही खाद की कीमतें, सोयाबीन के दाम जमीन पर

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चंद्रपुर:

भारत को कृषि प्रधान कहा जाता है, लेकिन चंद्रपुर जिले में किसानों को खेती के लिए आवश्यक सामग्री की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे जरूरी वस्तु रासायनिक खाद है, जिसकी कीमत पिछले 10 वर्षों में 550 रुपये तक बढ़ चुकी है। जबकि वर्तमान सरकार ने दावा किया था कि वे किसानों के कृषि उत्पादों को वर्ष 2024 तक डबल करावा देंगे। कृषि उत्पाद तो दोगुने नहीं हुए लेकिन खाद के दाम जरूर दोगुने हो गये है। और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से किसानों की इस समस्या पर कोई पहल नहीं की जा रही है। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी अब किसानों में चर्चा का विषय बन रही है।

डीएपी खाद की कीमत :

– 10 साल पहले: 850 रुपये प्रति बैग।

– अब: 1,400 रुपये प्रति बैग।

सोयाबीन के दामों में गिरावट

जब खाद की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, तब सोयाबीन के बाजार मूल्य में गिरावट जारी है।

तीन वर्षों में गिरावट : सोयाबीन की कीमत 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गई है।

कृषि लागत : किसानों का उत्पादन खर्च भी पूरा नहीं हो रहा।

किसानों का संकट

– किसानों के लिए खेती करना अब भारी चुनौती बन गया है।

– खाद के लिए उधार लेकर भी काम चलाना मुश्किल हो गया है।

– सरकार द्वारा सोयाबीन और कपास जैसे फसलों के दाम कम रखने की नीति ने किसानों की कमर तोड़ दी है।

आयात और नीति की समस्या

– किसानों का आरोप है कि उनकी फसल बाजार में आने के साथ ही सरकार आयात शुरू कर देती है।

– आयात-निर्यात नीतियां किसानों के हित में नहीं बल्कि उनके खिलाफ लगती हैं।

पिछले तीन वर्षों में स्थिति

– सोयाबीन की कीमतें लगातार गिर रही हैं।

– उत्पादन में कमी और लागत में बढ़ोतरी के कारण किसानों को बड़ा घाटा हो रहा है।

– सोयाबीन की कीमत बढ़ाने और नई कृषि नीति लागू करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

 

किसानों की मांग

1. खाद की कीमतों में कटौती : 

सरकार से अपील है कि खाद की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण लगाया जाए।

2. फसलों के उचित दाम :  

सोयाबीन और अन्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाए।

3. नई नीति :  

आयात-निर्यात नीति में बदलाव कर किसानों के हित में कदम उठाए जाएं।

आगे का रास्ता

यदि सरकार जल्द खाद की कीमतों को नियंत्रित नहीं करती और फसलों के दाम नहीं बढ़ाती, तो खेती करना और भी मुश्किल हो जाएगा। रबी सीजन की शुरुआत हो रही है, और किसानों को राहत देने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।

अंतिम बात

यह संकट केवल खाद्य वस्तुओं या फसलों तक सीमित नहीं है। यह भारत की कृषि व्यवस्था और किसानों के भविष्य का सवाल है। सरकार को चाहिए कि वह इस संकट को प्राथमिकता देकर समाधान निकाले, ताकि देश का अन्नदाता राहत महसूस कर सके।